मुंबई : शुक्रवार 9 फरवरी, 2024 को मुंबई में आयोजित किये जा रहे "महाराष्ट्र ड्रीम अचीवर्स अवॉर्ड" के सीज़न 2 के गरिमापूर्ण समारोह में दिये जाने वाले "जीवन गौरव (लाइफ टाइम ड्रीम अचीवर) पुरस्कार" सुप्रसिद्ध समाजसेविका श्रीमती हंसा बालकृष्ण मेहता को दिये जाने की घोषणा बुधवार, 7 फरवरी, 2024 को की गई।
यह जानकारी देते हुए समारोह की आयोजक संस्था स्नेहा इवेंट एंड मैनेजमेंट्स के सीएमडी विष्णु मिश्रा ने बताया कि श्रीमती हंसा मेहता एक अद्भुत शख़्सियत हैं, जो इस साल 96 साल की उम्र में शतक के करीब पहुॅंच गई हैं, लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर भी अत्यंत महत्वाकांक्षी हैं। उन्होंने बताया कि श्रीमती मेहता एक सर्वोत्कृष्ट सामाजिक प्रभावक हैं और एक दूरदर्शी हैं, जो समाज के कई दृष्टिबाधित और शारीरिक रूप से विकलांग वर्गों के रंग-रूप को बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। अपने जीवन के 62 वर्षों से भी अधिक समय समाज सेवा को समर्पित करने के बाद आप आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं। आपका जीवन अपने आप में समर्पण, चुनौतियों पर काबू पाने, कभी असफल न होने वाले रवैये, बदलाव की सतत इच्छा और समाज में बदलाव लाने के मजबूत इरादे की कहानी है। आपका जीवन प्राचीन दानशीलता, ज़रूरतमंद लोगों की नि:स्वार्थ सेवा तथा निराशा में प्रार्थना का एक जीवंत उदाहरण है। हजारों लोगों की माँ, जिनके अलंकृत प्रेम ने निराशाजनक जीवन को आशावादी सुगंध से भर दिया है। आपका काम कई लोगों के जीवन पर डाले गए प्रभाव के बारे में बहुत कुछ बताता है। 1993 में "सहयोग फाउंडेशन अवार्ड" कई प्रतिष्ठित प्रशंसाओं की अच्छी शुरुआत थी, जिसने आपकी शानदार यात्रा को नये हौसलों की ऊर्जा भर दी। हर साल आपके अच्छे काम और योगदान के लिए अभिनंदन, उल्लास और जश्न का साल रहा है। चाहे वह नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड हो, या फिर कोई और संगठन ! 1996 में सबसे अधिक प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पुरस्कार सहित आपके पुरस्कारों एवं सम्मानों की सूची अंतहीन है। आपकी सामाजिक पहचान और कार्यों की लम्बी सूची को ध्यान में रखते हुए हाल ही में आषको "वर्ष की असाधारण सामाजिक कार्यकर्ता"* के रूप में *दादा साहेब फालके अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक पुरस्कार 2024-25 से सम्मानित किया गया। आप वास्तव में सामाजिक परिवर्तन की अग्रदूत, हजारों लोगों की माॅं, चुनौतियों के बावजूद आशा और सम्मानजनक जीवन का मार्ग तलाशने वालों के लिए एक आदर्श शिक्षक रही हैं। मुंह में चांदी का चम्मच लेकर अमीर और सम्पन्न माता-पिता के घर जन्मी और आपको अपने माता-पिता से सभी के प्रति दया दिखाने के संस्कार विरासत में मिले। श्री बलभाई मेहता से शादी के बाद, आपको 4 बार गर्भपात के सदमे से गुजरना पड़ा, जिसका असर आपके शरीर और आत्मा पर पड़ा। आपने बहुत साहसपूर्वक भगवान के मौन संदेश को स्वीकार किया कि उनका जन्म सिर्फ़ कुछ बच्चों की माॅं बनने के लिए नहीं हुआ है, बल्कि हज़ारों ज़रूरतमंदों की एक प्यारी और देखभाल करने वाली माॅं बनने के लिए हुआ है। आपके चाचा श्री प्राणलाल शेठ ने भी आपको अपना जीवन समाज सेवा में समर्पित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने आपको ज़रूरतमंदों के लिए प्यार और देखभाल सुनिश्चित करके भगवान का दूत बनने की प्रेरणा दी। इस तरह आप एक असाधारण माँ बन गईं, जिसका प्यार और देखभाल जाति, पंथ या रंग की सभी सीमाओं से परे है।
आप अपने प्रारम्भिक वर्षों के दौरान अपनी दादी विजलिबा के आप पर पड़े प्रभाव को बहुत स्पष्टता से साझा करती हैं, जो बाद में आपके सामाजिक जीवन में बहुत अच्छा साबित हुआ।इस उम्र में भी आपमें जो उत्साह और ऊर्जा झलकती है, वह बेजोड़ और बहुत सकारात्मक है। कोई भी आपकी उपस्थिति में आशावाद और योग्य उद्देश्य में योगदान देने की गहरी भावना से बच नहीं सकता है। हंसाबेन, जैसा कि आपको कई लोग प्यार से बुलाते हैं, ने समाज के शारीरिक और दृष्टिबाधित वर्गों की शिक्षा में जबरदस्त योगदान दिया है। आपने नेत्रहीन और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए परोपकार के रूप में अपनी प्रतिभा और भरपूर क्षमता से जितना काम किया है, वह वास्तव में आश्चर्यजनक है और प्रशंसा के योग्य है, लेकिन किसी भी व्यक्ति के लिए अनुकरण करना कठिन है। आपका काम महाराष्ट्र और गुजरात सहित भारत के कई राज्यों में फैला हुआ है। अंध विद्यालय के अंदर आपके एक अनुभव ने जीवन और उसके संघर्षों के बारे में आपकी धारणा बदल दी। जब आपने देखा कि अंध विद्यालय की सभी दीवारें नीरस, रंगहीन होकर समय और उपेक्षा की मार झेल रही थीं। हालांकि नेत्रहीन उन्हें देख नहीं सकते थे, मगर फिर भी आपने उन दीवारों का पुनर्निर्माण करवाया और उन्हें सफेद रंग से रंगा, जिससे स्थिति बदल गई। साथ ही माहौल और उन नेत्रहीन बच्चों का जीवन हमेशा के लिए बदल गया। वर्तमान भौतिकवादी दुनिया में ऐसी अद्भुत संवेदनशीलता मिलना बहुत कठिन है। जैसे-जैसे समय बीतता गया, हंसाबेन पूरी तरह से समाज सेवा में लग गईं और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हंसाबेन मेहता एक शौकीन खेल प्रेमी भी हैं। आपने खेलकूद के क्षेत्र में भी दृष्टिबाधित लोगों के हितों का समर्थन किया है। आप यह सुनिश्चित करने में दृढ़ता से विश्वास करती हैं कि दृष्टिबाधित और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों को भी खेलकूद के क्षेत्र में अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए समान अवसर दिये जाने चाहिये।
सामाजिक परिवर्तन की अग्रदूत होने के लिए आपको हाल ही में एशिया की शीर्ष 100 प्रभावशाली महिला पुरस्कार 2024 से भी सम्मानित किया गया है। युवा पीढ़ी के लिए आपका संदेश समाज को, विशेषकर समाज के चुनौतीपूर्ण वर्गों को खुशियाॅं वापस लौटाने का है। आपका मानना है कि ऐसा होने पर ही यह दुनिया सभी के लिए एक शांतिपूर्ण और सम्मानजनक जगह होगी।
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