जौनपुर में दुबे परिवार ने 250 वर्ष पुराने हनुमान मंदिर का कराया जीर्णोद्धार



भायंदर। सुप्रसिद्ध रीयल एस्टेट कारोबारी तथा समाजसेवी लक्ष्मीधर दुबे (जगदीश) के मार्गदर्शन में उनके सुपुत्र इंपोर्ट एक्सपोर्ट कारोबारी अभिषेक दुबे (पिंटू) द्वारा अपनी मातृभूमि ग्राम कल्याणपुर, तिलोरा, मछली शहर, जौनपुर में करीब ढाई सौ वर्ष पुराने हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार कर उसे भव्य और दिव्य रूप प्रदान किया जा रहा है। इस मंदिर में भव्य नयनाभिराम बजरंग बली की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा शुक्रवार 7 फरवरी को प्रकांड विद्वानों तथा हजारों गणमान्यों की उपस्थिति में की जाएगी। इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह का शुभारंभ बसंत पंचमी के पावन पर्व पर सोमवार, 3 फरवरी को मूर्ति पूजा, पंचांग पूजा, वेदी पूजन, अग्नि हवन, दोपहर 3 बजे से प्रवचन के साथ होगा, जिसका समापन रविवार, 9 फरवरी को महाभंडारे के साथ होगा। महाभंडारे के लाभार्थी मुंबई के सुप्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी बाबूलाल मेघराजजी दुधेडिया (जैन) हैं। मंदिर के जीर्णोद्धार कर्ता सुप्रसिद्ध रीयल एस्टेट कारोबारी तथा समाजसेवी लक्ष्मीधर दुबे (जगदीश) ने उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार, 7 फरवरी को मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा, 8 फरवरी से अखंड रामायण पाठ, 9 फरवरी, रविवार को पूर्णाहुति के बाद विशाल महाभंडारे का आयोजन किया गया है, जिसमें उनके गांव वासियों के साथ ही क्षेत्र के तमाम दिग्गजों, हनुमान जी के भक्तों की उपस्थिति रहेगी। 
बता दें कि लक्ष्मीधर दुबे (जगदीश) का परिवार सैकड़ों वर्षों से मुंबई में बसा हुआ है। एक दौर ऐसा भी रहा कि कारोबार के क्षेत्र में दुबे परिवार की तूती बोलती थी। पारिवारिक विवाद में संपत्ति से बेदखल होने वाले 
लक्ष्मीधर दुबे (जगदीश) ने वर्ष 1973 से कर्मयोगी जीवन की शुरूआत कुर्ला में शून्य से शुरू की। संघर्ष के दौर में पूरी जीवटता से टैक्सी चलाने तथा छोटा-मोटा कारोबार करते हुए वह मुंबई से वर्ष 1976 में भायंदर आए, जहां नवघर रोड में दुकान खरीद कर ज्वेलरी बाक्स निर्माण का व्यवसाय शुरू किया। जिसमें अपनी मेहनत और ईमानदारी के बलबूते सफल कारोबारी के रूप में वह खुद को स्थापित करने में कामयाब रहे। पिछले दस वर्षों से प्रापर्टी इन्वेस्टर का काम लक्ष्मीधर दुबे (जगदीश) कर रहे हैं। वहीं उनके बड़े सुपुत्र अभिषेक दुबे (पिंटू) इंपोर्ट एक्सपोर्ट का कारोबार कर रहे हैं, जिनमें उनका हाथ छोटे सुपुत्र संकेत दुबे भी भाई के कारोबार में हाथ बंटा रहे हैं।
लक्ष्मीधर दुबे (जगदीश) कहते हैं कि मेरे जीवन में बस एक इच्छा एक गरीब कन्या का विवाह खुद के खर्च (गुप्त दान) के जरिए कराने की है, और वह बजरंग बली की कृपा से करने में सफल होंगे, इसका उन्हें पूरा विश्वास है।

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