तू मनुष्यता के तन-मन पर विषमय डंक
तू मनुष्यता के ज्योतिर्मय पथ का पंक
तू मनुष्यता के शशिमुख का कलुष कलंक
तू मनुष्यता के विरुद्ध अपकर्म अशंक
तू अनक्ष, तू अनय अनंकुश, तू आतंक
तुझ पर कैसी कविता! तुझ पर थू! आतंक!
मानवता के हत्यारे, सुनो ध्यान से
भारत बदला लेकर रहेगा!!!
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