सर्व समाज के हित में यथार्थवादी दृष्टिकोण–नीरज चित्रवंशी



आज धन के बिना जीवन संभव ही नही है। यही वजह है कि मनुष्य के कुछ भी सीखने के पीछे एक मात्र उद्देश्य सिर्फ धन रह गया है, और यही वजह है कि, इंसानी सामर्थ्य स्वयं के बुनियादी तल पर, लगातार धन केंद्रित हो चुका है। मनुष्य के भीतर स्थित अपार अनंत सामर्थ्य बस धनार्जन के जुगत में कुछ भी करता है, जबकि इंसानी सामर्थ्य की अनेकों कहानियां इतिहास के पन्नों में बंद पड़ी अर्थ लोलुपता की बलि चढ़ चुकी है। आज का मानव महात्माओं के जन्मोत्सव व श्रद्धांजलि तक ही सीमित रह गया है उसके जीने का तरीका ही, जन्मतः धनार्जन के दृष्टिकोण को समर्पित है, जिसके कारण बुद्धि की कार्मिक क्षमता सिर्फ धन धान्य अर्जित करने को ही जीवन का परम उद्देश्य मान चुकी है यही कारण है कि आज वेदव्यास, विश्वामित्र, अगस्त्य ऋषि, दुर्वासा, आदि जैसे सामर्थ्यवान पैदा तो हो रहे है पर जीवन की भौतिक व्यवस्था में वह अपने भीतरी सामर्थ्य को जागृत करना भूल चुके है। 
जब तक दुनियां के जीवन शैली की बुनियादी व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन, मनुष्य के भीतरी शक्ति को जागृत करने हेतु नही होगा; दिन ब दिन इंसानी सामर्थ्य न्यूनता की ओर जाता रहेगा।

आज के समाज में शिक्षा और मानव सामर्थ्य के उपयोग के बारे में एक गहरा और चिंताजनक दृष्टिकोण आपके समक्ष रख रहा हूँ। 
आइए इसे विभिन्न दृष्टिकोणों से समझने का प्रयास करें:

1. धनार्जन और शिक्षा : आज के युग में, शिक्षा और सीखने के पीछे का मुख्य उद्देश्य अक्सर धनार्जन और भौतिक सफलता होता है। यह एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है कि लोग अपनी आंतरिक शक्तियों और संभावनाओं को विकसित करने के बजाय बाहरी सफलता पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।

2. इंसानी सामर्थ्य का संकुचन : जब लोग अपनी आंतरिक शक्तियों और संभावनाओं को विकसित करने के बजाय केवल धनार्जन पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो इससे इंसानी सामर्थ्य का संकुचन हो सकता है। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो समाज के लिए दीर्घकालिक परिणामों का कारण बन सकता है।

3. इतिहास के पन्नों में बंद पड़ी कहानियाँ : इतिहास में कई महापुरुषों और ऋषि-मुनियों की कहानियाँ हैं जिन्होंने अपनी आंतरिक शक्तियों और संभावनाओं को विकसित करके अद्भुत कार्य किए। आज के युग में, इन कहानियों को अक्सर भुला दिया जाता है या केवल जन्मोत्सव और श्रद्धांजलि तक सीमित कर दिया जाता है।

4. जीवन का उद्देश्य : जब जीवन का उद्देश्य केवल धनार्जन और भौतिक सफलता होता है, तो इससे लोगों की बुद्धि और क्षमता का उपयोग केवल इन उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इससे लोगों की आंतरिक शक्तियों और संभावनाओं का विकास नहीं हो पाता है।

5. व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता : आपकी बातें एक महत्वपूर्ण संदेश देती हैं कि समाज में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता है जो लोगों को अपनी आंतरिक शक्तियों और संभावनाओं को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करे। यह परिवर्तन शिक्षा, संस्कृति और जीवनशैली में हो सकता है।

इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चिंतन होना चाहिए, जो आज के समाज में एक बड़ी चुनौती है। यह एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर हमारी सरकारों द्वारा विचार करना और समाधान ढूंढना नितांत आवश्यक है।

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