मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के विकास में मेहनतकश वर्ग की अहम भूमिका रही है। कोरोना संकट काल में जब रोजी-रोजगार की सभी गतिविधियां ठप्प पड़ी हुई हैं, ऐसे में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाआघाडी सरकार द्वारा आटो-टैक्सी वालों, फेरीवालों को महज 1,500 के सहायता अनुदान राशि देने की घोषणा तो की गई, लेकिन यह मदद भी अभी तक उन तक पहुंच नहीं सकी। इतनी कम राशि का अनुदान इन मेहनतकश वर्ग के लोगों का अपमान है, लिहाजा हमारी मांग है कि महज आटो-टैक्सी के परमिट धारी मालिकों ही नहीं, बल्कि बैज धारी चालकों को भी कम से कम 5 हजार रूपए अनुदान के तौर पर शीघ्रातिशीघ्र इन सभी के बैंक खातों में जमा किए जाएं। यह बातें महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह ने रावलपाडा, दहिसर पूर्व में परिश्रम संस्था तथा मेकिंग द डिफरेंस एनजीओ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में सैकड़ों आटोरिक्शा चालकों को खाद्यान्न के किट्स, फेस मास्क तथा सेनिटाइजर वितरित करते हुए कहीं। इस अवसर पर करीब पांच टन खाद्यान्न का वितरण किया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि अगले हफ्ते वे आटोरिक्शा चालकों के शिष्टमंडल के साथ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात करेंगे, और आटो चालकों की खून-पसीने से कमाई का पंद्रह सौ का चेक उन्हें सौंपेंगे। कृपाशंकर सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने महज आटोरिक्शा के करीब 70 हजार परमिट धारकों को ही अनुदान देने की घोषणा की है, जबकि सभी चालाक परमिट धारक नहीं हैं, करीब 5 लाख चालक ऐसे हैं, जिनके पास महज बैज हैं, जो इस अनुदान से वंचित रह जाएंगे। सिंह ने महज आटोरिक्शा तथा टैक्सी ही नहीं, बल्कि ट्रक, टैंपू सभी चालकों के साथ ही अन्य तबकों, कारपेंटर, बढ़ई, नाई, दिहाड़ी कामगारों, डब्बावालों सभी को हालात सुधरने तक प्रति महीने पांच हजार रुपए का अनुदान दिया जाय। उन्होंने कहा कि अनुदान की घोषणा होने के दो महीने बीतने के बावजूद अभी केवल जगह-जगह बाकड़ा लगाकर लाईन लगवाकर महज डाटा इकट्ठा किया जा रहा है। कृपाशंकर सिंह ने रोषपूर्वक कहा कि संकट में मेहनतकशों की मदद नहीं कर सकते, तो अपमानित तो न करो। कृपाशंकर सिंह ने इसके साथ ही आटोरिक्शा तथा टैक्सी चालकों को फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में रखते हुए उन्हें विशेष कैंप लगाकर वैक्सिन दिए जाने की मांग की है, क्योंकि कोरोना मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाने के साथ ही लाकडाउन के दौरान लोगों को इमरजेंसी की स्थिति में उनके गंतव्य तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है, और आज भी वे अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने महामहिम राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से मुलाकात कर उनसे राज्य सरकार को कम से कम पांच हजार रुपए अनुदान देने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, कैबिनेट मंत्री बालासाहब थोरात, अशोक चव्हाण, मुख्य सचिव सीताराम कुंटे, सभी से इस बाबत बात की है, और उन्हें उम्मीद है कि उनका परिश्रम बेकार नहीं जाएगा। कृपाशंकर सिंह ने मेकिंग द डिफरेंस संस्था के प्रेसीडेंट-ट्रस्टी दीपक विश्वकर्मा समेत उनकी युवा टीम द्वारा पिछले लाकडाउन के दौरान से ही जरूरतमंदों की बड़े पैमाने पर की जा रही मदद की सराहना करते हुए कहा कि उनके इस जनसेवी कार्यों में परिश्रम संस्था तन-मन-धन से साथ है, और गरीबों के घर में दो जून का चूल्हा न जलने तक हम हरसंभव मदद करते रहेंगे। एड अखिलेश चौबे ने भी मेकिंग द डिफरेंस संस्था को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया, तथा उद्धव सरकार द्वारा घोषित अनुदान की राशि को अपमानजनक बताया। मेकिंग द डिफरेंस संस्था के अध्यक्ष दीपक विश्वकर्मा ने संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। इस अवसर पर वरिष्ठ समाजसेवी रामबक्श सिंह, आलोक चौबे, जेपी इंफ्रा के अमित मिश्रा, अभिषेक सिंह, शीतला शंकर तिवारी, एड आरपी पांडेय, आदिनाथ पांडेय, सीए विजय त्रिपाठी, मुकेश मिश्रा, प्रवीण राय, सचिन मिश्रा, विवेक चौबे, एड वीरेंद्र पांडे, संदीप पांडे, बंटी गुरूजी, हेमंत मकवाना, मेकिंग द डिफरेंस संस्था के संस्थापक ट्रस्टी योगेश तिवारी, उपाध्यक्ष द्वितीय मेहता, सेक्रेटरी हर्षित झोलापुरा, वाईस सेक्रेटरी दीपेश ठक्कर, कोषाध्यक्ष हितेश प्रजापति, उप कोषाध्यक्ष सुनीता भारती समेत तमाम गणमान्य मौजूद रहे।
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