मुंबई:साहित्यिक,सांस्कृतिक,आध्यात्मिक एवं सामाजिक संस्था राष्ट्रीय नव साहित्य कुंभ के तत्वावधान में रविवार दिनांक 4 जुलाई 2021 अपराह्न 1 बजे से साहित्य के क्षेत्र में में शिक्षा-दीक्षा बढने और स्त्रियों के शिक्षित होने पर देश में कितना बदलाव आया है,इस उद्देश्य से संस्था द्वारा नारी सशक्तिकरण विषय पर सविस्तार व्याख्यान का आयोजन किया गया।इस श्रृंखला में विषय नारी सशक्तिकरण पर व्याख्याता प्रतिमा शर्मा के साथ संस्था की राष्ट्रीय सक्रिय सदस्या आद० पारमिता षड़गीं ने वार्तालाप की।
साहित्यकार प्रतिमा शर्मा का साहित्यिक उपनाम-पुष्प,शिक्षा पोस्टग्रेजुएट,व्यवसाय-लेखिका
आप जल निगम रोड -प्रज्ञानगर चकटोडर-ज्ञानपुर भदोही -यू.पी से हैं।आपकी लेखन विधा- अतुकांत,साहित्यिक उपलब्धियों में अब तक तीन एकल काव्य संग्रह मेरा अपना आकाश (उत्तरायण प्रकाशन,लखनऊ), आहत स्वर-(रीड् पब्लिकेशन , इलाहाबाद ),मौन अधरों के संवाद(,रीड पब्लिकेशन इलाहाबाद) से प्रकाशित हैं,(साझा संकलन )तिनका तिनका आशियाँ व भाव मंजरी (रीड पब्लिकेशन) साझा संकलन- महकते पन्नें , शब्द शब्द महक,अनकहे एहसास व क्षितिज की ओर (युवराज प्रकाशन हरियाणा)लघुकथा संग्रह -प्रतिबिंब(युवराज प्रकाशन, हरियाणा)पत्रिकाएं-कृति ओर (त्रैमासिक जय पुर )मासिक पत्रिका "उत्तर"(भागलपुर ) संकल्पभारत(त्रैमासिक, महाराष्ट्रा)साहित्यनामा (त्रैमासिक,नई दिल्ली)कवितांबरा (वाराणसी,उत्तर प्रदेश)देश के अनेक पत्र पत्रिकाओं में कविताएं व आलेख प्रकाशित होते रहते हैं। साहित्य के क्षेत्र में आपको हिन्दी साहित्य परिषद,ज्ञानपुर,भदोही (उ0.प्र0.)द्वारा हिन्दी साहित्य सेवा सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।हिंदी श्री (मिर्जापुर उत्तर प्रदेश) द्वारा हिंदी श्री सम्मान से सम्मानित हुई हैमातृका विवेक साहित्य मंच (दिल्ली)द्वारा "मातृका काव्य अनुरागी "सम्मान से सम्मानित तथा अनेक मंचों पर काव्य पाठ व आनलाइन काव्य पाठ के लिए सम्मानित हैं।राष्ट्रीय नव साहित्य कुंभ के पटल से संचालन करती हुई षडंगी के प्रश्नों का उत्तर देते हुए प्रतिमा शर्मा ने कहा कि वर्षों पूर्व समाज में नारियों को सिर्फ खिलौना समझा जाता था,पुरूष जो चाहें स्त्रियों से वही करने पर मजबूर करते थे,किन्तु आज ऐसा नहीं है। आज वर्तमान में विगत वर्षों से साहित्यिक क्षेत्र से जुड़े शिक्षित वर्ग ने शिक्षा को बढावा दिया और लडकियों को भी वही स्थान दिया जो लडको को प्राप्त होता था।आज लडकियां शिक्षित होकर देश के सभी कार्यरत क्षेत्रों में अहम् भूमिका निभा रही हैं और पुरूषों की अपेक्षा नारी आगे बढ चली हैं।नारी ही देश में परिवर्तन लाई थी और नारी ही देश में परिवर्तन लायेगी।साहित्य ही एक ऐसी पूंजी है जिसे बांटा या खरीदा नहीं जा सकता और न ही चोरी की जा सकती है।उक्त व्याख्यान में नारी सशक्तिकरण पर खूब प्रकाश डाला गया और श्रोतागण लाभान्वित भी हुए, सभी ने आनलाइन उपस्थिति दिखाकर यह सिद्ध कर दिया कि वास्तव में नारी ही देश की,समाज की नियंता हैं।सभी ने व्याख्याता श्रीमती प्रतिमा शर्मा 'पुष्प' का अभिवादन स्वागत करते हुए उत्साहवर्धन किया।उक्त व्याख्यान का आयोजन एवं संयोजन राष्ट्रीय नव साहित्य कुंभ" के संस्थापक रामस्वरूप प्रीतम(श्रावस्तवी) अध्यक्ष अनिल कुमार राही (मुंबई),संयोजक संजय द्विवेदी (कल्याण-महाराष्ट्र), सचिव धीरेन्द्र वर्मा धीर(लखीमपुर खीरी), संरक्षक दिवाकर चंद्र त्रिपाठी "रसिक" (छत्तीसगढ़) एवं मीडिया प्रभारी विनय शर्मा "दीप" (ठाणे- महाराष्ट्र),उपाध्यक्ष सत्यदेव विजय (मुंबई),कोषाध्यक्ष प्रमिला मेहरा किरण,उपसचिव प्रियंका गुप्ता भोर के सहयोग से संपन्न हुआ।अंत में संस्था द्वारा आमंत्रित व्याख्याता आदरणीया प्रतिमा शर्मा 'पुष्प ' को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया तथा व्याख्यान के कार्यक्रम का समापन किया गया।यह सूचना पत्रकार विनय शर्मा दीप ने मुंबई से दी।
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