मुंबई।संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन हो या महात्मा गांधी की सभा, कुर्ला पश्चिम का गांधी मैदान, जो हर सभा और आंदोलन का गवाह था, आखिरकार महानगरपालिका के अधीन आ गया हैं। जिला कलेक्टर कार्यालय ने अतिक्रमण व अनाधिकृत निर्माणों को हटाकर ऐतिहासिक गांधी मैदान महानगर पालिका को सौंप दिया है। गांधी मैदान को बचाने के लिए पिछले कई सालों से वरिष्ठ नागरिक काम कर रहे हैं। अण्णा प्रभुदेसाई और कुर्ला के सभी कार्यकर्ता अलग-अलग तरीके से संघर्ष कर रहे थे। जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा अतिक्रमण हटाए जाने के बाद निर्माण कार्य दोबारा शुरू होने से मामला गंभीर हो गया था। अंतत: सर्वसम्मति से गांधी मैदान की 2505 वर्ग मीटर की सरकारी जमीन सहायक आयुक्त अलका सासाने, सहायक अभियंता देशमुख, आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, संरक्षण सर्वेक्षक एसवी श्रावण, तलाठी एनएस भांगरे, मुख्य लिपिक एसबी मोरे, अजय शुक्ला, संजय घोने और विश्वास कांबले की उपस्थिति में अधिकृत तरीके से अधीन ले लिया। कुर्ला थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शशांक शेलके ने मंगलवार को अतिक्रमण हटाने के दौरान एहतियात बरती।अनिल गलगली ने सहायक आयुक्त अलका ससाने, डिप्टी कलेक्टर संदीप थोरात और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शशांक शेलके का आभार मानते हुए कहा कि अन्ना प्रभुदेसाई और भास्कर सावंत समेत सभी अन्ना टीम को श्रेय हैं और अब महानगरपालिका की जिम्मेदारी बढ़ गई है। विधायक संजय पोतनीस ने इस मैदान के सौंदर्यीकरण और अन्य कार्यों के लिए अपनी सहमति दे दी है। सहायक आयुक्त अलका ससाने ने आश्वासन दिया कि अब एक इंच भी भूमि का अतिक्रमण नहीं होने देंगे और एक आर्किटेक्ट को नियुक्त कर जल्द ही एक योजना तैयार की जाएगी ताकि ऐतिहासिक गांधी मैदान को सार्वजनिक इस्तेमाल के लायक बना दिया जा सके। इस आंदोलन में उमेश गायकवाड, डिंपल छेडा, संतोष देवरे, गणेश नखाते, राजेंद्र शितोले, मंगला नायकवडी, निलाधर सकपाल, राजेश भोजने, बंडु मोरे, अॅड अमित सरगर,अॅड प्रणिल गाढवे, आनंद शिंदे, अमित कांबले, मोहन घोलप, रामचंद्र माने, कैलास पाटील, अविंद्र शिंदे, संतोष पांढरे ने समय समय पर योगदान दिया।
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