सुल्तानपुर। दूध का सार तत्व माखन है। श्रीकृष्ण ने गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया और असार को छोड़ दिया। मानो प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है।उक्त उद्गार श्री अवध धाम से पधारे आचार्य श्याम सारथी जी महाराज ने स्थानीय मधुपुरी गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पाँचवे दिन व्यक्त किये। आचार्य श्री ने आगे कहा कि श्रीकृष्ण केवल ग्वाल-बालों के सखा भर नहीं थे, बल्कि उन्हें दीक्षित करने वाले जगद्गुरु भी थे। श्रीकृष्ण ने उनकी आत्मा का जागरण किया और फिर आत्मिक स्तर पर स्थित रहकर सुंदर जीवन जीने का अनूठा पाठ पढ़ाया। कथा के बीच बीच राजेश मिश्र अलवेला की सुमधुर संगीत स्वर लहरियों से वातावरण भक्तिमय हो उठा।संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के इस आयोजन में संतोष तिवारी , अमृतलाल, विपिन पांडेय, शिलाजीत तिवारी के अलावा बड़ी संख्या में महिलाओं ने भावपूर्ण कथा श्रवण किया। इसके पूर्व मानिक चंद तिवारी ने व्यास पीठ का पूजन किया।
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