सुलतानपुर। स्थानीय छतौना गांव में चल रही सप्त दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन अयोध्या से पधारे आचार्य दिनेश चंद्र मिश्र भागवताचार्य ने भगवान के चौबीस अवतारों की कथा का वर्णन किया। समुद्र मंथन की कथा वर्णन करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि मानव हृदय ही संसार सागर है। मनुष्य के अच्छे और बुरे विचार ही देवता और दानव के द्वारा किया जाने वाला मंथन है। कभी हमारे अंदर अच्छे विचारों का चितन मंथन चलता है, और कभी हमारे ही अंदर बुरे विचारों का चितन मंथन चलता रहता । जिसके अंदर का देवता जीत गया है। उसका जीवन सुखी, संतुष्ट और भगवत प्रेम से भरा गया होगा। आचार्य ने कथा को आगे बढ़ाते हुए यहां चौरासी लाख योनियों के रूप में भिन्न- भिन्न प्रकार के फूल खिले हुए हैं। जब-जब कोई अपने गलत कर्मो द्वारा इस संसार रूपी भगवान के बगीचे को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता है तब-तब भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेकर सजनों का उद्धार और दुर्जनों का संघार किया करते हैं ।
कथा श्रवण करने पहुँचे पूर्व विधायक देवमणि दुबे का व्यास पीठ से अंगबस्त्र भेंट कर सम्मान किया गया। संगीत की स्वर लहरियों से वातावरण भक्ति मय हो गया। पूर्व विधायक ने लोगो के आग्रह पर भजन गया तो उपस्थित भक्त झूम उठे। इस मौके पर विद्याधर तिवारी, त्रिभुवननाथ मिश्र, साहेब मिश्र , लवकुश मिश्र, गिरजा शंकर पाठक, चिंतामणि दुबे, की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
0 Comments