मुंबई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को मुंबई में लेखाकारों की 21वीं विश्व कांग्रेस को संबोधित किया। उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट को आर्थिक जगत का इंजन और विश्व आर्थिक जगत के शिल्पकार बताते हुए अर्थतंत्र में उनके योगदान की सराहना की। बिरला ने चार्टर्ड अकाउंटेंटों की निष्पक्ष परीक्षा प्रक्रिया का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने की जो परीक्षा ली जाती है, वह विश्वसनीय होती है। आज तक इस परीक्षा प्रणाली पर सवाल नहीं उठे, यह आईसीएआई की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
बिरला ने कहा कि नए इनोवेशन, नई सोच और नई तकनीक के अनुसार काम करने की शक्ति और सामर्थ्य चार्टर्ड अकाउंटेंटों में हैं। उनके द्वारा लाए गए सकारात्मक परिवर्तन के माध्यम से समृद्ध समाज एवं राष्ट्र का निर्माण संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्यों से आर्थिक जगत में सकारात्मक परिवर्तन हुआ है और समाज में आर्थिक, सामाजिक परिवर्तन हो रहे हैं। वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ अकाउंटेंट्स कार्यक्रम को आईसीएआई के अध्यक्ष, सीए डॉ. देबाशीष मित्रा एवं उपाध्यक्ष सीए अनिकेत तलाटी व अन्य पदाधिकारियों ने भी संबोधित किया।
इस दौरान बिरला ने डिजिटल अर्थव्यवस्था में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की महत्वपूर्ण भूमिका बताई। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का विश्व पर प्रभाव और डिजिटल अर्थव्यवस्था टेक्नोलॉजी के परिवर्तन के कारण आज चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की भूमिका बहुत बढ़ गई है। आर्थिक क्षेत्र के एक्सपर्ट होने के कारण चार्टर्ड अकाउंटेंट्स इस परिवर्तन को अच्छी तरह समझते हैं और उनमें यह क्षमता है कि उनकी सलाह से इस बदलते समय में विश्व के समक्ष चुनौतियों का समाधान संभव हो सकता है।
वैश्विक चुनौतियां का जिक्र करते हुए बिरला ने कहा कि आज हमारे सामने कई वैश्विक चुनौतियां हैं, जैसे कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक चुनौतियां और प्रत्येक समस्या विश्व के सभी देशों को प्रभावित कर रही है। वैश्विक चुनौतियों का समाधान वैश्विक प्लेटफार्म पर चर्चा संवाद करके ही निकाला जा सकता है। वैश्वीकरण के इस युग में अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही मानवता के साझे भविष्य को सुरक्षित रखने का सबसे उपयुक्त मार्ग है। समृद्ध आर्थिक तंत्र स्थापित करने में, आर्थिक बदलाव के वाहक के रूप में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। क्योंकि अब सारी दुनिया एक है और दुनिया में सामाजिक, आर्थिक, जो कुछ भी संकट आता है तो उसका प्रभाव सभी देशों पर पड़ता है।
इस दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि चार्टर्ड अकाउंटेंट्स आपस में नियमित विचार-विमर्श का एक सिस्टम बनाएं, अपने नवाचारों और बेस्ट प्रेक्टिसेज को साझा करें, ताकि अधिकतम अंतरराष्ट्रीय सहयोग से एक समृद्ध वैश्विक आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना कर सकें। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी वैश्विक कार्य योजना बनाएं, जिससे कि हम अपने-अपने देशों में उपलब्ध संसाधनों, मैनपावर, टेक्नोलॉजी के आधार पर मजबूत अर्थतंत्र स्थापित कर सकें, ताकि सभी देश आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि हमारा वैश्विक सहयोग का एक ऐसा मॉडल बने, ऐसी रूपरेखा बने, जो सभी वैश्विक विषयों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रेरणा बन सके।
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