नैना मेरे मुझे छलने लगे है
बेवजह ही बरसने लगे है
जख्म है गहरा पर बाहर पहरा
रिश्तों के धागे कतरने लगे है
नैना मेरे मुझे छलने लगे है
जुबान पर ठहरा दर्द है बहरा
और होंठ मेरे
मुझ पर हंसने लगे है
नैना मेरे मुझे छलने लगे है
देता नही कोई साथ मेरा
पैर भी आगे पीछे
चलने लगे है
नैना मेरे मुझे छलने लगे है
है तेज बहुत इस दिल की धड़कन
जैसे तन से प्राण निकलने लगे है
नैना मेरे मुझे छलने लगे है
मयस्सर नही सुकूं कहीं भी
वक्त से आगे क्यों भगने लगे है
नैना मेरे मुझे छलने लगे है.....
"मीनाक्षी पाठक"©️®️
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