पितरों को प्रसन्न करने हेतु स्वरचित दोहे।

1- कर जोड़े विनती करूं,
    नित अपने पुरखान।
    जिनके पथ पर चल रहे, 
    हम छोटी संतान।।

2- देवलोक, भूलोक में, 
     जहां कहीं हों आप।
     स्वीकृत करें तिलांजली, 
     हरें कष्ट अरु पाप।।

3- जहां कहीं हों आप सब, 
     तर्पण करें स्वीकार।
     भूले बिसरे सभी को,
     तिलांजली शत बार।।

4- हम पर कृपा बनी रहे, 
     हे मेरे सरताज।
     पुत्र, पौत्र, धन धान्य से, 
     नहीं रहूं मुहताज।।

5- सदा बसें हिय में मेरे, 
    कुशल राखिये वंश।
    फलें फुलें नित सर्वदा, 
    हम सभी आपके अंश।।

6- पुत्र पौत्र परपौत्र,
     जो भी मेरा संबंध।
     मेरी ओर निहारिये, 
     है मेरी सौगंध।।

7- वन, उपवन, हिमगिरि,
    गुहा,अग जग ढूंढ़ूं तोहिं।
    अपनी कृपा कटाक्ष से, 
    तृप्त कीजिए मोहिं।।

*कवि - अच्छेलाल पाठक*

Post a Comment

0 Comments