प्रतापगढ़ । मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने अपने धर्म का पालन करते हुए चौदह वर्षों के लिए वनवास को तैयार हुएl लेकिन अनुज लक्ष्मण ने भ्रातृ प्रेम में श्री राम के साथ बन जाना स्वीकार किया l जब रामचंद्र जी ने लक्ष्मण से कहा कि बेटों का पहला धर्म पिता, माता और गुरु की आज्ञा का पालन करना है, और अब तुम भी मेरे साथ चलोगे तो यह तुम्हारे लिए धर्म की बात नहीं होगीl इस पर लक्ष्मण ने जवाब दिया की भैया मैं धर्म नहीं, परम धर्म का पालन कर रहा हूंl मेरे लिए सर्वोच्च आप है और मैं आपकी सेवा में ही अपना परम धर्म परम धर्म समझ रहा हूंl
यह प्रसंग श्री रामजानकी मंदिर बरहदा रानीगंज में पंकज मिश्र के नेतृत्व me2आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस विश्व विख्यात कथाव्यास डॉ. श्यामसुंदर पाराशर जी महाराज ने कहींl उन्होंने धर्म और परम धर्म में अंतर बताते हुए कहा कि कि जब मनुष्य परम धर्म का पालन करता है तो उसे अपने हित अनहित का कोई लोभ नहीं होता हैl उन्होंने कथा में आगे कहा कि जीव बड़े ही सत्कर्मों और पुण्य प्रभावो से मानव का तन पाता हैl और यह मानव योनि मोक्ष के द्वार तक ले जाने का कार्य करती हैl अगर मनुष्य भागवत भजन और सत्संग करता रहे तो उसे निश्चित रूप से जन्म मरण के बंधन से मुक्ति मिलती हैl महाराज जी ने राजा परीक्षित की कथा को भी सुनायाl कथा के आयोजक श्री रामजानकी सेवा समिति के अध्यक्ष पंकज मिश्रा ने बताया कि यह कथा 4 दिसंबर तक चलेगीl उन्होंने आए हुए सभी भक्तों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, प्रतिदिन कथा में आने का निवेदन कियाl इस दौरान क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों सहित भारी संख्या में श्रोतागण, भक्त उपस्थित रहेl
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