सरकारी आदेश का उल्लंघन
मुंबई। एमएमआरडीए मेट्रोपॉलिटन कमिश्नर डॉ. संजय मुखर्जी ने सरकारी आदेश का उल्लंघन करते हुए 5 सेवानिवृत्त अधिकारियों को विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में नियुक्त किया है। एमएमआरडीए प्रशासन की ओर से आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को जानकारी दी गई है कि इन अधिकारियों को हर महीने 12 लाख रुपये वेतन दिया जा रहा है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से एमएमआरडीए महानगर आयुक्त की मंजूरी से नियुक्त विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) के बारे में जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को 5 सेवानिवृत्त अधिकारियों के बारे में जानकारी प्रदान की, जिन्हें विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में तैनात किया गया है। इसमें 5 अधिकारी हैं। वे हैं सुनील गुज्जेलवार, केशव उबाले, वी वेणुगोपाल, डॉ. महेश ठाकुर, अरविंद देशभ्रतार।
■ 12 लाख प्रति माह सैलरी
एमएमआरडीए के सह आयुक्त एस रामामूर्ति ने एमएमआरडीए महानगर आयुक्त डॉ. संजय मुखर्जी की मंजूरी से कार्यालय आदेश जारी किए हैं। सुनील गुज्जेलवार, नागपुर सुधार प्रन्यास के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता हैं। उन्हें प्रति माह 3.30 लाख के वेतन पर निर्माण कार्य के लिए अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया गया है। सेवानिवृत्त उप मनपा आयुक्त केशव उबाले का वेतन 2.04 लाख है और वे मनपा के मामलों को संभालेंगे। सिडको में सेवानिवृत्त मुख्य नियोजक वी वेणुगोपाल को 2.79 लाख वेतन पर नियोजन की जिम्मेदारी दी गयी है। नागपुर सुधार प्रन्यास के सेवानिवृत्त कानूनी अधिकारी अरविंद देशभ्रतार को 2.22 लाख वेतन के साथ कानूनी विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। मुंबई कॉर्पोरेशन के सेवानिवृत्त उप मुख्य अभियंता डॉ. महेश ठाकुर को निर्माण कार्य की जिम्मेदारी दी गई है और उनका वेतन 1.64 लाख है।
■ दोनों को आवास दिया गया
एमएमआरडीए के अतिरिक्त महानगर आयुक्त-2 की मंजूरी से सुनील गुज्जेलवार को जेतवन में 1824 वर्ग फुट का फ्लैट दिया गया है, जबकि अरविंद देशभ्रतार को जेतवन में 877 वर्ग फुट का फ्लैट दिया गया है। अनिल गलगली के अनुसार डॉ. जगन्नाथ ढोणे बनाम महाराष्ट्र सरकार के मामले में, राज्य सरकार ने एक हलफनामा दायर किया है कि वह किसी सेवानिवृत्त व्यक्ति को अनुबंध के आधार पर नियुक्त नहीं करेगी और अत्यधिक आपात स्थिति के मामले में, उचित अनुमति ली जाएगी। एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त ने हलफनामे का उल्लंघन किया है। आज एमएमआरडीए मुख्यालय में, जबकि सर्वोच्च पद विभाग प्रमुख का है, उसके ऊपर सेवानिवृत्त विशेष कार्य अधिकारियों को नियुक्त किया जा रहा है और हर महीने 12 लाख का चूना लगाया जा रहा है। अनिल गलगली ने ऐसे मामलों में पारिश्रमिक 10 हजार से अधिक नहीं होने की गाइडलाइन का उल्लंघन कर सरकार से अनुमति नहीं लेने वाले आयुक्त की जांच कर कार्रवाई की मांग की है।
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