- राज्य सरकार, पश्चिम रेलवे व मनपा के संरक्षण में चल रही हैं अवैध दुकानें
- शौचालय, पेयजल, अग्निशमन सुविधा का अभाव
नालासोपारा (संवाददाता)। कितने ही चुनाव आये और गये। नेता व समाजसेवी चुनाव- प्रचार करते रहे किंतु उन्हें नालासोपारा (पूर्व) में कहीं कोई कमी या नागरिक आवश्यकता की जानकारी नहीं मिली। यहां तक कि वसई-विरार शहर महानगर पालिका अपने निजी स्वार्थ के चलते गरीबों का घर तोड़ डालती है, क्योंकि उसे गरीब झोपड़ा वासियों से शायद कोई लाभ नहीं मिलता किंतु किसी भी मनपा अधिकारी या नगरसेवक की कभी यह हिम्मत ही नहीं हुई कि वे बहुचर्चित दुबे इस्टेट के अंदर किये गये अनधिकृत निर्माणों व कार्यों पर नजर तक डाल सकें। इसी कारण आमधारणा बनती जा रही है कि दुबे इस्टेट में हुए अवैध निर्माणों को कांग्रेस, राकांपा शिंदे शिवसेना, शिवसेना (यूबीटी) तथा सर्वाधिक प्रभावशाली पार्टी बविआ के नेताओं का भी समर्थन प्राप्त है। केन्द्र व राज्य में सत्ता पर काबिज भाजपा ने तो दुबे इस्टेट की बहू को वसई विधान सभा क्षेत्र से उम्मीदवारी दी है, जिससे भाजपा कार्यकर्ताओं में असंतुष्टि का माहौल है।
अवैध फेरीवालों पर रेलवे और मनपा मेहरबान
कुछ ऐसा ही हाल पश्चिम रेलवे का है। रेलवे द्वारा बनवाई गई सुरक्षा दीवार पर दुबे परिवार द्वारा पत्रे लटकाकर दुकानें बनाने व फेरीवालों के धंधे लगवा कर लाखों का भाड़ा कमाने की छूट दे दी है। यही कारण है कि राज्य सरकार, मनपा एवं पश्चिम रेलवे के मौन सहयोग से दुबे परिवार लाखों के भाड़े की वसूली प्रति माह कर रहा है, किंतु दुकानदारों, खरीदारों व उधर से गुजरने वाले रेल यात्रियों के लिए किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं हैं। रेलवे के पीक ऑवर में रेल यात्रियों को दुबे इस्टेट में प्रवेशा करने में ही 5 से 10 मिनट लग जाते हैं, क्यों कि पूरे दुबे इस्टेट में गलियां व रास्ते तो तंग हैं ही, दुकानदारों व उनके ग्राहक आधे रास्ते एक खड़े रहने से आवागमन अत्यन्त मुश्किल हो जाता है। लोगों का कहना है कि दुकानदारों व खरीदारों के लिए दुबे स्टेट में कोई सार्वजनिक शौचालय एवं पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। दुबे इस्टेट में हॉटेल्स, बार, देशी बार, टी स्टाल्स, फास्ट फूड की दुकानें, रेडीमेड क्लॉचेस व मोबाईल की दुकानें बहुत हैं। हॉटेल्स व फास्टफूड स्टालों पर गैस के चूल्हे व भट्टियां जलती हैं, किंतु फायर फाइटिंग की उपयुक्त सुविधा नहीं है।
हो चुकी है आग लगने की घटना
गत वर्ष दुबे इस्टेट की एक शॉप में भीषण आग लग गई थी। इस शॉप के पास से बड़ी संख्या में रेल यात्रियों का आना जाना रहता है। गनीमत रही की हादसा देर रात में हुआ था। अन्यथा जनहानि से इनकार नहीं किया जा सकता था। इस आग में आसपास की दुकानों को काफी नुकसान हुआ था। अवैध बिल्डिंग में चलने वाली दुकानों का कोई इंश्योरेन्स भी नहीं था। सुरक्षा के प्रति लापरवाह दुबे इस्टेट के दुकानदारों को लाखों का घाटा उठाना पड़ा था। बता दें कि जीवनोपयोगी व घरेलू उपयोग का सामान खरीदने को अधिकतर महिलाएं व बच्चे ही दुबे इस्टेट में आते हैं। बार व देशी बार से निकलने वाले शराबी व नशेड़ियों का व्यवहार देख महिलाएं बहुत ही असहज महसूस करती हैं। इतनी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए कोई कारगर सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि अनेक परिवारों के लोगों ने अपने घर की महिलाओं व बच्चों को दुबे इस्टेट में जाने के लिए मना कर दिया है।
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