खिड़की से आ रही रोशनी | Khabare Purvanchal

...............................

खिड़की से आ रही रोशनी,
एक सुबह होगी।
उदासी में डूबे चेहरों पर,
फिर मुस्कान होगी।।
सुनसान पड़े मैदानों में,
बच्चों की चहक गूंजेगी।
लौटेगी दुकानों की रौनक,
मोल भाव की बात होगी।।
सर्कस, सिनेमा और मॉल में,
फिर से महफिल जमेंगी।
कोरोना की जंग जीतेंगे हम,
मानवता फिर मुस्कुराएगी।।
एक बात मन में सदा याद रखो,
वैक्सीन ही जीवन बचायेगी।
डरना नहीं और सटना नहीं,
फिर गलियां खिलखिलाएंगी।।
जीवन बचाने को आगे बढ़ो,
फिर कलियां मुस्कराएंगी।
महकती दिशाएं,चहकती फिजाएं,
हमें फिर बुलाएंगी।।


रचनाकार
शिवपूजन पांडे 
वरिष्ठ साहित्यकार
मोबाइल– 9821 250480
 

Post a Comment

0 Comments