मुंबई। मुंबई समेत महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में लाखों की संख्या में उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं। रोजी-रोटी की तलाश में महाराष्ट् में आए उत्तर प्रदेश के लोगों ने अपनी मेहनत, ईमानदारी, काम के प्रति समर्पण तथा मजबूत इच्छाशक्ति के चलते न सिर्फ अपना एक ठोस मुकाम बनाया अपितु महाराष्ट्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के विकास में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सामाजिक ,राजनीतिक तथा आर्थिक धरातल पर उत्तर प्रदेश के लोगों ने जिस तरह से अपनी सम्मान जनक पहचान स्थापित की है, वह काबिले तारीफ है । महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष कृपाशंकर सिंह मुंबई में उत्तर प्रदेश के लोगों की भूमिका को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उपरोक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की संस्कृति में काफी समानताएं हैं। दोनों ही संस्कृतियों में समानता , सरलता ,सहजता और सम्मान की भावना स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। कृपाशंकर सिंह ने कहा कि यही कारण है कि उन्होंने हमेशा उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को मां और मौसी का दर्जा दिया है। हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं की लिपि देवनागरी है। ऐसे में दोनों भाषाओं को समान रूप से पढ़ा जा सकता है। कृपाशंकर सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जाती है , जिसके चलते यहां के बच्चे उत्तर प्रदेश की संस्कृति से भलीभांति परिचित हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उत्तर प्रदेश के स्कूलों में भी मराठी भाषा पढ़ाए जाने का निवेदन करेंगे ताकि वहां के बच्चे भी महाराष्ट्र की संस्कृति से भलीभांति परिचित हो सकें। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में मराठी पढ़ाए जाने से महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ेगा साथ ही दोनों प्रदेशों के लोगों के बीच रिश्ते और मजबूत होंगे।
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