मुंबई। रा.सा.सा.व सांस्कृतिक संस्था "काव्यसृजन" के तत्वावधान में अखिल भारतीय काव्य मंच के ऑन लाइन फेसबुक पेज एवम यू ट्यूब पर पं.शिवप्रकाश जौनपुरी द्वारा संपादित काव्य संग्रह "अवधी देशज बानी* की पुस्तक परिचर्चा का सुन्दर आयोजन कानपुर के डॉ. श्रीहरि वाणी की अध्यक्षता व पं.श्रीधर मिश्र "आत्मेश्वर" के संचालन में किया गया।इस परिचर्चा में प्रमुख वक्ता रहे डॉक्टर गोपाल कुमार मिश्र (सदस्य-उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी,संस्कृति मंत्रालय उत्तर प्रदेश व विभागाध्यक्ष संगीत विभाग,जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट,उत्तर प्रदेश)।परिचर्चा की अद्भुत विशेषता रही कि डॉ. गोपाल कुमार मिश्र ने अपना वक्तव्य देने के साथ ही स्वयं गायन करते हुए स्पष्ट किया कि अवधी गीतों को किस प्रकार सुरों में ढाला जा सकता हैं।पुस्तक की समीक्षा में समीक्षक बकायदा हार्मोनियम के साथ जहाँ गाने का मन किया गा कर रचनाओं की व्याख्या करते विशेषता बतायी।इस अद्भुत व अविस्मरणीय परिचर्चा को लगभग 4 से 5 सौ लोगों ने पूरे समय मन पूर्वक लाईव से जुड़कर मंत्रमुग्ध हो कर देखा और सराहा।अद्भुत आयोजन के लिए जौनपुरी ने अखिल भारतीय काव्य मंच के पदाधिकारियों का आभार व्यक्त किया।अखिल भारतीय काव्य मंच के संस्थापक प्रो.अंजनी कुमार द्विवेदी "अनमोल रसिक" एवम उनकी पूरी टीम जिसमें आदरणीया ममता बरोट व निर्भय ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।मुख्य अतिथि हौंसिला प्रसाद "अन्वेषी" ने डॉ गोपाल कुमार मिश्र के वक्तव्य की गदगद मन से सराहना की।अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. श्रीहरि वाणी ने इस परिचर्चा को और तमाम परिचर्चाओं से अलग बताया और कहा यह परिचर्चा अविस्मरणीय व अद्भुत है।मुख्य वक्ता डॉ. मिश्र ने प्रत्येक गीत का गहन अध्ययन किया तभी वे 21वें गीत में प्रयुक्त उलट बांसी को गजल सम्राट अनूप जलोटा की तरह पकड़ सके..जहाँ पहली पंक्ति.. अपने बिपतिया के दिन कब गुजरिहइं... के बाद अंतिम पंक्ति में कहा गया.. अपने बिपतिया के दिन भी गुजारिहइं..।
मीडिया प्रभारी विनय शर्मा दीप ने बताया कि डॉ गोपाल मिश्र की विद्वत्ता और उनकी पारखी नजर को साधुवाद तथा पं. शिवप्रकाश जौनपुरी भी साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने अपनी विलुप्त हो रही देशज बोली भाषा को संरक्षित करने हेतु आंचलिक भाषा में इतनी सुन्दर पुस्तक देश समाज में प्रस्तुत की है|अंत में काव्यसृजन संस्था के उपकोषाध्यक्ष एवं चर्चित पुस्तक "अवधी देशज बानी" को सजाने - सँवारने वाले सौरभ दत्ता" जयंत" ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया और स्नेह सहयोग बनाये रखने का निवेदन किया।
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