मुंबई। साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्था मुंबई शहर से सटे हुए जिले ठाणे महानगर में रविवार दिनांक 12 जून 2022 को मुख्य अतिथि आनन्द पाण्डेय "केवल" की उपस्थिति एवं तिलक राज खुराना की अध्यक्षता और सदाशिव चतुर्वेदी "मधुर" के संचालन में संगीत साहित्य मंच की 87 वीं मासिक काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई।जिसमे सुप्रसिद्ध पत्रकार एवं कलमकार विनय शर्मा दीप का सत्कार उनके द्वारा लिखित सवैया उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के नवीन पाठ्यक्रम 11वीं एवं 12वीं में प्रकाशित होने की खुशी में बड़े ही भव्य रूप से सम्पन्न हुआ।यह सुंदर और सफल कार्यक्रम संस्था के जाने माने मंच संचालक उमेश चन्द्र मिश्र के आवास पर किया गया।कार्यक्रम का श्रीगणेश अनुरागी जी की सरस्वती वंदना से हुआ। इसके बाद मंच संचालन कर रहे सदाशिव चतुर्वेदी "मधुर" ने सुप्रसिद्ध कवि एवं मंच संचालक उमेश मिश्र को काव्य पाठ के लिए आमन्त्रित किया।मिश्र जी ने माँ पर एक सुन्दर रचना "हजारों गम को ओ आँचल में छुपा लेती है" का भावपूर्ण गायन किया।क्रम की अगली कड़ी में वरिष्ठ कवि रामप्यारे रघुवंशी ने गाँव के बदले हुए परिवेश का चित्रण बड़ी ही बेहतरीन पंक्तियों"भले गाओं में अब भी सुविधा पुरानी,भले है यहाँ चापा कल का पानी" के द्वारा किया। संस्था से जुड़े नए कलमकार पवन शर्मा ने बड़ी ही सुन्दर श्रृंगार की ग़ज़ल "बारहा जुल्फ को हाँथों से हिलाया न करो,तुम परेशां हो दुनिया को बताया न करो" का मधुर कंठ से गायन किया।तत्पश्चात श्रृंगार रस के धनी अरुण मिश्र अनुरागी ने "तेरे हुश्न पे सनम यूँ मेरा दिल फिसल रहा है" का सुन्दर स्वर में गायन करके महफ़िल को रंगीन बना दिया।अगली कड़ी में कार्यक्रम के अध्यक्ष तिलक राज खुराना ने "बिगड़ी हुई बातों को बनाने का जतन कर, मजधारों में किसी को बचाने का जतन कर" भावपूर्ण कविता सुनाकर खूब तालियाँ बटोरी।कार्यक्रम के अगले पादान को बढ़ाते हुए आनन्द पाण्डेय ने कुछ मुक्तक सुनाकर एक गज़ल "ये खता बार बार कौन करे,इश्क पर जां निशार कौन करे" की सुन्दर प्रस्तुति कर महफ़िल को आशिक़ाना बना दिया। कार्यक्रम की अगली कड़ी में संस्था के संयोजक 74 वर्षीय रामजीत गुप्ता ने "हे रावण तेरे वंसज तो तुमसे भी उत्पाती हैं,भाई बेटे सब साथ गए पर रहगये पोते नाती हैं" प्रस्तुत कर खूब वाह लूटे।तत्पश्चात मधुर जी ने "देना है तो चंदन की तरह दुनियां को शीतलता देना" गीत की सुन्दर प्रस्तुति पर लोगों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम में कुछ बिलम्ब से शिरकत करने वाले सामना में डंक के लेखक कमलेश पाण्डेय तरुण ने कई मुक्तक प्रस्तुत किया और "देके कलेश गयो परदेश, न भेज्यो सन्देश पिया मोर पापी" सवैया सुना कर सबका मन मोह लिया lआज के कार्यक्रम के विशेष स्वागत मूर्ति विनय शर्मा दीप ने अनेकों मुक्तक की प्रस्तुति के बाद उनकी विशेष रचना (सवैया) जिसको पाठ्यक्रम में चयनित किया है उसका मुक्तकंठ से गायन किया।तत्पश्चात इतनी बड़ी उपलब्धि द्वारा कवि समाज को गौरव प्रदान करने हेतु तालियों की गड़गड़ाहट के साथ शर्मा जी का शाल,श्रीफल और पुष्पगुच्छ देकर सभी कवियों द्वारा स्वागत किया गया। हँसी खुशी और ठहाकों भरी शाम में भक्ति रस और श्रृंगार रस के मिले जुले माहौल का सभी सहभागियों ने जमकर आनन्द उठाया। संस्था के संयोजक रामजीत गुप्ता ने कोरोना काल मे भी लगातार सफलता पूर्वक चल रहे संस्था की काव्य गोष्ठियों में सहभागी होने वाले सभी कवि मित्रों के लिए कृतज्ञता व्यक्त किया।कार्यक्रम के द्वितीय अध्यक्ष के रूप में तरुण जी ने अपने उदबोधन में कार्यक्रम को खूब सराहा और आभार प्रदर्शन का दायित्व मधुर जी को दिया।अन्त में संस्था के सहसंयोजक सदाशिव चतुर्वेदी "मधुर" ने समीक्षात्मक शब्दों के साथ सभी का आभार व्यक्त किया और उमेश चन्द्र मिश्र ने अपनी साहित्य सन्देश की पंक्तियों द्वारा कार्यक्रम का समापन किया।
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