महाराष्ट्र के पालघर जिलांतर्गत वसई तालुका अपनी हरियाली एवं नैसर्गिक सौंदर्य के लिए, मात्र महाराष्ट्र ही नहीं समूचे भारत में जाना जाता है। यहां कि सुरम्य नैसर्गिक छटा देखने की उत्कंठा लिए अनेक पर्यटक यहां आया करते हैं, किंतु अब यह पावन भूमि राज्य व देश को एक और उपहार भेंट कर रही है, जो वसई का प्रथम और भारत का दूसरा आयरन मैन (Iron Man) है। उसका नाम है- हार्दिक दयानंद पाटिल है, जो वसई तालुका के सुप्रसिद्ध उपनगर 'विरार ' के निवासी हैं।वह आयरन मैन के रूप में अपने अग्रज, कौस्तुभ जी राडकर को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं, जो देश के प्रथम आयरन मैन हैं।
आयरन मैन व स्पायडर मैन का जिक्र हॉलीवुड की फिल्मों में बहुतायत है, जो मात्र साइंस फिक्शन रही हैं। किंतु वास्तविक जनजीवन में 'आयरन मैन' की उपाधि प्राप्त कर लेना कोई आसान कार्य नहीं हैं। इसके लिए धैर्य, स्वस्थ व शक्ति युक्त शरीर तथा दृढ़ संकल्प से ओत-प्रोत प्रयास की अतीव आवश्यकता होती है, तभी 'आयरन मैन' की कठिनतम् प्रतियोगिताएं जीती जा सकती है। महर्षि व्यास जी ने अपनी नीतियों में कहा है-
"परिश्रमेण हि सिद्धति कार्याणि न मनोरथैः
नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः । "
तात्पर्य यह कि मात्र कुछ प्राप्त करने की इच्छा (आकांक्षा) रखने से कुछ प्राप्त नहीं होता है। जैसे कि आराम से सोते हुए सिंह के मुंह में मृग (शिकार) स्वयं प्रवेश नहीं करता है। आयरन मैन हार्दिक पाटिल को भी आयरन मैन का अवार्ड व पदवी सहजता से नहीं मिली है। इसके लिए उन्हें लगभग 4-5 घंटों तक कठिन अभ्यास करना पड़ा है और वर्तमान में भी उनका प्रयास, लगन तथा अभ्यास निरंतर चलता आ रहा है।
आयरन मैन हार्दिक पाटिल की उपलब्धियां:-
एक खिलाड़ी के रूप में सफलता प्राप्त करने की आकांक्षा उन्हें वर्ष 2013 के आरम्भिक दिनों में उत्पन्न हुई, जब कि उनका वजन आनुपातिक रूप से कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था। किसी शुभ चिंतक की सलाह पर उन्होंने नियमित रूप से दौड़ना शुरू किया तो उनका शरीर स्वस्थ व सुगठित होने लगा। दौड़ने में उनकी रुचि बढ़ती गई। उनकी उपलब्धियां निम्नांकित है:
1- वर्ष 2013 में गुजरात के सूरत में हुई हाफ मैराथन दौड़ में वह प्रथम धावक रहे ।
2- वर्ष 2014 में भी हाफ मैराथन प्रतियोगिता में सफल रहे।
3- वर्ष 2015 में जर्मनी के आयरन मैन-यान फ्रेडनों को देखकर उन्होंने आयरन मैन की प्रतियोगिता में भाग लिया और नवम्बर 2015 में फुल आयरन मैन का खिताब व मेडल अपने नाम किया ।
4- कुल मिलाकर आयरन मैन हार्दिक पाटिल 22 बार फुल आयरन मैन एवं 20 बार हाफ 'आयरन मैन 'जीत चुके हैं।
5- वर्ष 2019 में हार्दिक पाटिल ने 3 हाफ आयरन मैन व 7 फुल 'आयरन मैन' की प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त की है।
6- वर्ष 2022 में एक फुल मैराथन व 3 हाफ आयरन मैन प्रतियोगिता में सफल हुए हैं।
7- वर्ष 2019 से 2022 की अवधि में 6 फूल आयरन मैन की प्रतियोगिताएं सफल की हैं।
8- आयरन मैन बनने का अब तक का 8 भारत रिकॉर्ड और 5- एशिया रिकॉर्ड बना चुके हैं।
9- वर्ष 2023 के दिसम्बर तक में लगभग 2 से 3 एशिया रिकॉर्ड व इण्डिया रिकॉर्ड बनाने की आकांक्षा दृढ़ है।
आयरन मैन प्रतियोगिता का स्वरूप
आयरन मैन की प्रतियोगिता तीन चरणों में लगातार पूरी करनी पड़ती है जिसमें 3.8 कि.मी. तैराकी Swimming 18 किमी. साइकिल- 'चलाना (Cycling) एवं 42 किमी. की लम्बी दौड़, पूरी करनी पड़ती है। इसी कारण इस त्रिसूत्रीय प्रतियोगिता(Triathlon Competition) कहा जाता है। इस प्रतियोगिता को लगातार 17 घंटों में पूरी करना आवश्यक होता है। त्रिसूत्रीय होने के कारण यह प्रतियोगिता अत्यन्त कठिन हो जाती है।
आयरन मैन हार्दिक पाटिल का जीवन परिचय
हार्दिक पाटिल का जन्म 21 सितम्बर 1987 में पालघर जिला अंतर्गत, वसई तालुका के उपनगर विरार में एक संभ्रांत कृषक परिवार में हुआ था। उनकी माता कै.सौ-विद्या पाटिल एवं पिता श्री दयानंद पाटिल शहर के संभ्रात एवं सम्माननीय व्यक्ति हैं। वह अपने परिवार के इकलौते पुत्र हैं तथा उनकी एक बहन सौ. स्नेहा पाटिल हैं, जो हार्दिक पाटिल से जेष्ठ हैं। वसई तालुका 'के तेजी से हुए शहरी करण में पाटिल परिवार सुविख्यात भवन निर्माण संस्था- 'मे. स्नेहा बिल्डर्स' का संचालक व स्वामी भी है।
आयरन मैन हार्दिक पाटिल के सामाजिक कार्य:-
हार्दिक पाटिल का परिवार क्षेत्रीय राजनीति में कोई रुचि नहीं रखता किंतु सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक समारोहों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता है तथा हर संभव सहयोग भी करता है। विरार व नालासोपारा के मध्य कारगिल नगर स्थित मां महाकाली मंदिर एवं साईबाबा मंदिर के समारोह में प्रतिवर्ष 20 से 25 बकरों का दान करते हैं। प्रति वर्ष अपने पारिवारिक सदस्यों के जन्मदिवसों पर 7 भण्डारों का आयोजन करते है, जिसका लाभ लाखो नागरिक उठाते हैं।
खिलाड़ियों को संदेश:-
आयरन मैन हार्दिक पाटिल उभरते खिलाड़ियों को बाहर के खाने - जंक फूड, फास्टफूड व चायनीज फूड न खाने की सलाह देते है, क्यों कि वे सभी खाद्य पदार्थ हानिकारक होते हैं। इनके स्थान पर ड्रायफ्रूट - बादाम, पिस्ता, अखरोट, मुनक्का, किसमिस, दालचीनी, लौंग, मूली, गाजर, वीट व आंवले का जूस सेहत के लिए लाभदायक मानते हैं। एक व्यक्ति के लिए 108 ग्राम प्रोटीन,मटन व मंदिर या किसी धार्मिक कार्य में जाते समय पनीर का उपयोग करते हैं। उनका मानना है कि हर एथलीट (खिलाड़ी) को अपने शरीर को विकसित करने के लिए प्राकृतिक रूप से उपलब्ध भोजन का उपयोग करना लाभप्रद होता है।
विदेशों में जाकर स्वीडन व अन्य एशियाई देशों में आयरन मैन का पदक जीतने वाले वह दूसरे भारतीय हैं। पहले पुणे निवासी कौस्तुभ राडकर हैं। आयरन मैन हार्दिक पाटिल अपना आदर्श-अर्नाल्ड स्वार्जनेजर एवं जर्मनी के यान फ्रेडलो को मानते हैं। विदेशों में भारत का नाम रोशन करने वाले हार्दिक पाटिल भविष्य में भी 'आयरन मैन' के अनेक पदकों को लाने के प्रति दृढ़ संकल्पित हैं। डॉ. इकबाल ने कहा है।
"आसमां से है उसकी हरीफाना कशा कश,
खाकी है मगर ख़ाक़ से आज़ाद है मोमिन। "
तात्पर्य यह कि जिसके साहस आसमान से लोहा लेने का हौसला रखते हैं, वही पूर्ण पुरुष होते हैं, जो शारिरिक होते हुए भी उसकी सीमाओं में न बंधकर स्वतंत्र होते हैं।
भारत को विदेशों में गौरवान्वित करने वाले 'आयरन मैन हार्दिक पाटिल' को प्रगति व पराक्रम की खबरें पूर्वाचल के संपादकीय परिवार की अनंत शुभकामनाएँ ।
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