भारत देश जैसे विशाल लोकतंत्र में वंचित समाज आजादी से लेकर आज तक सामाजिक अपमान राजनीतिक तिरस्कार और आर्थिक कंगाली झेल रही संतानें अपने ही देश में असहाय और लाचार है। संवैधानिक तरीके से ओतप्रोत यह समाज अपने जीवन को देश को समर्पित कर देने के बाद भी वंचित समाज को जो अधिकार मिलना चाहिए वह अधिकार आज तक नहीं मिला है। तमाम सरकारें आई और चली गई मगर वंचित समाज में आज तक कोई बदलाव नहीं आया हैं।
उदाहरणार्थ देश का कुम्हार समाज पुरे देश को मिट्टी का बरतन देता था। मगर विदेशी कंपनियों को सरकारी सहयोग पाकर विदेशी कंपनियों द्वारा थर्माकोल और अन्य पेपरों के द्वारा खानें पीने के लिए बरतन तैयार करने लगें। जिससे देश के कुम्हारों के मिट्टी के बरतन की मांग कम हों गई और सरकार मिट्टी कला बोर्ड स्थापित कर कुम्हार समाज का वोटों को अपने पाले में लाने के लिए दिवास्वप्न दिखा रही है। जबकि देश के कुम्हारों के लिए मिट्टी का बरतन बनाने के लिए कहीं भी मिट्टी लेने के लिए जमीन आवंटित नहीं किया गया है।
नाई समाज जैसा ईमानदार समाज इस धरती पर खोजनें से भी नहीं मिलेगा। जो खुद फटेहाल रहकर भी भारती के जनमानस को कुरुप से सुंदर बनाकर रखनें का कार्य सदैव करतें आ रहा है। उदाहरणार्थ स्वरूप आज वर्तमान समय में नाई समाज के व्यवसाय को ब्यूटी पार्लर का नाम देकर अन्य विभिन्न समाजों के लोग इस व्यवसाय को अपना लिए हैं और सरकार केश कला बोर्ड का गठन कर नाई समाज के लोगों को दिग्भ्रमित कर केवल वोटों के धुर्वीकरण का खेल खेल रहीं हैं।
इसी तरह मुसहर समाज जंगल का राजा कहा जाता था और मुसहर समाज जंगल का राजा हैं। मगर सरकार जंगलों को बचाने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया है और जंगलों का पतन होते जा रहा है और मुसहर समाज का व्यवसाय विदेशी कंपनियों ने छीन लिया है। उदाहरणार्थ धोबी समाज, लोहार समाज, माली समाज, कहार समाज, नोनियां समाज, नट समाज, नापित समाज, नायक समाज, बंजारा समाज, हरजोतवा समाज, भुज समाज, भटियारा समाज, धैकार समाज, केवट समाज, मल्लाह समाज, बरी समाज, घुमक्कड़ी समाज, गोसाईं समाज, भाट समाज, भाड़ समाज, बुनकर समाज, कोईरी समाज, शोईरी समाज, बहचरिया समाज, भील समाज, मच्छीमार समाज का सामाजिक शोषण और राजनीतिक तिरस्कार आज भी कायम है और राजनीतिक भागीदारी नहीं होने के कारण इन समाजों का सामाजिक दोहन हो रहा है। यही कारण है कि इन समाजों का धार्मिक विचार धारा बदलती जा रही है।
सरकार भी इन समाजों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाई है।
अब जरूरत आ पड़ी है कि भारतीय वंचित समाज एकजुट होकर सामाजिक अपमान, राजनीतिक तिरस्कार और आर्थिक शैक्षणिक शोषण को भारत से खत्म करने के लिए वंचित समाज विरोधी सरकार को नेस्तनाबूद कर दें। और एकजुट होकर बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर, पेरियार जी, कर्पूरी ठाकुर, एम करुणानिधि को राजनीतिक आदर्श मानते हुए जननायक कर्पूरी ठाकुर सेवा समिति रजि सामाजिक संगठन को मजबूत कर नए राजनीतिक समीकरण पर आधारित राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करें। और 2024 चुनाव में सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए आवाज बुलंद करें और नारा दो -
जीन हैं तो लड़ना सीखो,
कदम कदम पर अड़ना सीखों।
वंचित समाज की एकता ही राजनीतिक भागीदारी,सामाजिक समानता और सम्मान, आर्थिक विकास शैक्षणिक योग्यता सुनिश्चित हो पाएंगी।
इतना ही नहीं वंचित समाज ही इस देश को पुनः गुलामी को ओर अग्रसर होने से बचा सकता है। देश की संपत्ति का पूंजीपतियों के हाथों में जानें से बचा सकता है। क्योंकि इस देश को खून पसीना से सिंच कर उपर्युक्त जातियों ने इस देश को सोने की चिड़िया बनाया था।
भारत का वंचित समाज,
लेकर रहेगा अपना अधिकार।
अब कोई करेगा अपमान,
ईंट के बदले पत्थर से मिलेगा जबाब।।
जागो वंचित समाज जागो और अपनी शक्ति पहचानों और चिन्तन करों कि हम सब देश में 69 % होकर भी 39 % के गुलाम बनें हैं। हमारे वोटों के अधिकार को लेकर हमारे समाज को ही शारिरिक मानसिक शैक्षणिक आर्थिक रूप से शोषण कर अपमानित करते आ रहे हैं।
इसलिए वंचित समाज एकजुट होकर अपने-अपने अधिकार छीन लो और भारत देश के असली मूलनिवासी कौमों यह जता दो कि यह देश हमारा है और इस देश के असली समर्थक द्रविड़ हम हैं। और हम पर अत्याचार, शोषण, बलात्कार, हत्या करने वाले को उसी के जमीन में दफन करने के लिए एकजुट होकर राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करें।
लेखक - राजेन्द्र प्रसाद ठाकुर
" सार्जन "
9967777524
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