भायंदर। भायंदर पूर्व के बीपी रोड स्थित लता कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के लोग पिछले कई वर्षों से बदहाली का जीवन जीने को विवश हो गए हैं। रिडेवलपमेंट के नाम पर 2012 में सोसायटी के साथ हुए करारनामे के तहत रश्मि बिल्डर्स ने उनके घरों को तो तोड़ दिया, परंतु 2016 तक सिर्फ ग्राउंड फ्लोर का स्लैब डालकर काम बंद कर दिया। अब स्थिति यह है कि यहां के लोग मारे मारे फिर रहे हैं। अनेक लोगों की आर्थिक हालत तो बेहद खराब हो गई है। लोगों को बस कोर्ट का ही सहारा है। सोसाइटी में 196 फ्लैट तथा 12 दुकानें थी। एग्रीमेंट के अनुसार सभी को 850 रुपए प्रति वर्ग फीट की दर से बिल्डर को पैसे देना था। अनेक लोगों ने तो पूरा पैसा दे दिया है जबकि कुछ लोगों ने आधे से अधिक राशि जमा कर दी है। मुंबई उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट महेश काबरा इनका अधिकार दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। एडवोकेट काबरा ने ऐसे कई रीडिवेलपमेंट के मुकदमे लड़े है और एडवोकेट काबरा के अनुसार यहां के लोग इस रश्मि बिल्डर से तंग आ चुके हैं और सोसाइटी मीटिंग में सर्व सहमति से रश्मि बिल्डर का बहिष्कार कर दिया है। ऐसे में किसी दूसरे बिल्डर की कानूनी तौर पे नियुक्ति कर के ही रिडेवलपमेंट का काम हो सकता है ऐसा लोगो का कहना है। उन्होंने कहा कि पूरी उम्मीद है कि कोर्ट यहां के लोगों के बदहाल जीवन को देखते हुए तत्कालीन सही दिशा निर्देश करेगा जिससे बेघर लोगो को जल्द से जल्द अपने घर और दुकानें मिल जायेगी।
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