मुंबई। धर्म और संस्कार के प्रचार–प्रसार में अग्रणी श्री जैन धार्मिक शिक्षण संघ ने हाल ही में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। संस्था को यूके के अति प्रतिष्ठित सम्मान 'लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान संस्था की टीम को उक्त संस्था के भारत में प्रतिनिधि डाॅ अविनाश साकुंडे के हाथों प्रदान किया गया। इसके साथ ही संघ के अग्रणी पदाधिकारियों को जैन धर्म के शाश्वत सिद्धांतों का प्रसार और पाठशालाओं की अमूल्य भूमिका के लिए अमेरिकन यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। मानद डाॅक्टरेट की उपाधि से सम्मानित होने वालों में श्री जैन धार्मिक शिक्षण संघ के उपाध्यक्ष संजय जीवनलाल शाह, ट्रस्टी अशोक नरसी चरला तथा महिला विभाग की उपाध्यक्ष अल्पाबेन संजय शाह का समावेश है। गौरतलब हो कि श्री जैन धार्मिक शिक्षण संघ ने धार्मिक शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर संस्था और पदाधिकारियों ने एक ऐतिहासिक स्थान प्राप्त किया है। संघ द्वारा देश भर में 655 जैन पाठशालाओं का सफल संचालन किया जा रहा है, जिसमें 75,000 से अधिक बच्चे जैन धर्म और संस्कृति का ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं।
हर वर्ष 25,000 से अधिक विद्यार्थी धार्मिक परीक्षा देते हैं, ये उपलब्धियां समाज में बढ़ते धार्मिक आकर्षण और संघ की सशक्त कार्यशैली का प्रमाण हैं। यह सम्मान संस्था की दशकों पुरानी सेवा और भविष्य में धार्मिक शिक्षा का विस्तार और राष्ट्रीय उपलब्धि और धर्म प्रचार के संकल्प को और मजबूत बनाएगी। साथ ही यह संस्था के धार्मिक शिक्षा के बढ़ते योगदान को दर्शाती है। इस अवसर पर श्री नेमिसूरी समुदाय के आचार्य भगवंत प.पू. श्री चंद्रसूरीश्वरजी महाराज तथा साधु-साध्वियों ने निश्रा प्रदान की, जिससे पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। पूज्य श्री ने श्री जैन धार्मिक शिक्षण संघ को 'बेस्ट संस्था’ का सर्वोच्च अवॉर्ड तथा अग्रणी पदाधिकारियों को
मानद डॉक्टरेट उपाधि प्राप्त करने पर अपना आशीर्वाद दिया और पूज्य श्री ने कहा कि यह बच्चों के ज्ञान का सम्मान है। प्रवचन में पूज्य श्री ने कहा कि जैन शासन में पहला कदम पाठशाला है। यही पाठशाला बच्चों में संस्कारों का सिंचन करती है। श्री जैन धार्मिक शिक्षा संघ के उपाध्यक्ष संजयभाई जीवनलाल शाह ने कहा कि यदि जैन शिक्षा को पांच वर्ष से 14 वर्ष की आयु तक धार्मिक शिक्षा की नई तकनीक के माध्यम से संस्कृत भाषा प्रदान
की जाए तो बच्चों का विकास अवश्य होगा। धार्मिक शिक्षा की इस नई तकनीक से भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के देशों में रहने वाले जैन बच्चों को भी लाभ मिलेगा। जैन धर्म विश्व का एक प्राचीन और वैज्ञानिक धर्म है, जो जीवदया, अहिंसा और आत्मशुद्धि पर जोर देता है। पाठशाला इस धर्म के मूल रूप के सिद्धांतों को बच्चों में रोपने का पवित्र कार्य करती है। उन्होंने कहा कि पाठशाला के माध्यम से बच्चों को धार्मिक ज्ञान के साथ संस्कार, नैतिक मूल्य और सामाजिक जिम्मेदारी की शिक्षा दी जाती है। यह भविष्य की पीढ़ी को धर्म और संस्कृति से जोड़े रखने का अत्यंत महत्वपूर्ण माध्यम है, जो उन्हें विनय, विवेक और जीवदया जैसे गुण सिखाकर, आत्मा और संस्कृति के महत्व को समझाता है। ट्रस्टी अशोक नरसिंह चरला ने कहा कि मुंबई के 655 से अधिक स्कूलों में 1400 से अधिक शिक्षक और शिक्षिका अपना योगदान दे रहे हैं। आज मुंबई के स्कूलों में 75,000 से अधिक बच्चे धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। महिला विभाग की उपाध्यक्ष अल्पाबेन शाह ने कहा कि, आज के बच्चे ही आने वाले कल में जैन धर्म के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाएंगे। श्री जैन धार्मिक शिक्षण संघ की यह उपलब्धि केवल एक अवॉर्ड नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ी में संस्कार और जैन धर्म के ज्ञान के बीज बोने वाली एक प्रेरणादायक यात्रा है। बता दें कि श्री संघ द्वारा 3 से 11 वर्ष के छोटे बच्चों के ज्ञान और तप के पुरुषार्थ को सम्मानित करने के लिए बाबूलनाथ स्थित श्री सहस्त्र फणा श्वेतांबर मूर्तिपूजक तपागच्छ संघ में एक भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में धर्म का गहरा ज्ञान प्राप्त करने वाले 150 बच्चों को विशेष पुरस्कार और इनाम देकर उनका उत्साह बढ़ाया गया। इस अवसर पर मुंबई महानगरपालिका के पूर्व उपमहापौर बाबूभाई भवानजी, इंटरनेशनल ह्यूमन राईट्स अंबेसडर आर्गनाइजेशन के संस्थापक अध्यक्ष डाॅ अविनाश साकुंडे,
राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ अफसर चांद कुरैशी, राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डाॅ यतिन देवधर, महाराष्ट्र प्रदेश कार्याध्यक्ष राजेश उपाध्याय, महिला विभाग की प्रदेश उपाध्यक्ष मंदा ताई शिंदे, अखिल भारतीय पत्रकार हक सांसद समिति के महाराष्ट्र उपाध्यक्ष रमेश आयरे, समाजसेविका बिमल साटम, प्रदीप चौकशी, विक्रम शाह, धीरेंद्र जवेरी, राजेश दोशी, शिरीन जरीवाला, शांति भाई संघवी समेत जैन समाज के अनेक गणमान्य, कई जैन संस्थाओं के ट्रस्टीगण, संघ के सदस्य, धर्म-प्रेमी उपस्थित रहे, जिनका सम्मान श्री जैन धार्मिक शिक्षण संघ की ओर से किया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ कमलेश गगलानी ने तथा आभार संजय शाह ने व्यक्त किया।
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