डॉ.लक्ष्मण शर्मा वाहिद को मिला महाराष्ट्र राज्य उर्दू साहित्य अकादमी पुरस्कार



नवी मुंबई। शहर के सानपाढ़ा में रहने वाले उर्दू ज़बान के फ़रोग़ और अदब की ख़िदमत में अपनी बेपनाह लगन व बेहतरीन सेवाओं के ऐतिराफ़ में शायर डॉ.लक्ष्मण शर्मा ‘वाहिद’ को “महाराष्ट्र राज्य उर्दू साहित्य अकादमी अवॉर्ड से नवाज़ा गया। यह एज़ाज़ उर्दू अकादमी की गोल्डन जुबली (स्वर्ण जयंती) के मौक़े पर 8 अक्तूबर 2025 को एस वी पी डोम स्टेडियम वर्ली मुंबई में अधिवक्ता कोकाटे मंत्री अल्प संख्यक प्रकोष्ठ की देख रेख में प्राप्त हुआ।डॉ वाहिद राजस्थान के एक छोटे से कस्बे बयाना जंक्शन (नगला स्टोर) में जन्म हुआ़ तथा पिता स्वर्गीय देवीराम शर्मा (सी.टी.आई.) और स्वर्गीय माता पार्वती शर्मा के परिवार में दूसरे नंबर के सबसे छोटे बेटे हैं।डॉ.शर्मा ‘वाहिद’ उस जुनून का नाम हैं जिसने कभी थकना नहीं सीखा। उन्होंने मुश्किलों के सामने झुकना मंज़ूर नहीं किया। 
डॉ. शर्मा ‘वाहिद’ वह वाहिद (अद्वितीय) शख़्सियत हैं जिन्होंने हिंदी भाषी होते हुए भी उर्दू साहित्य में अपनी गहरी समझ और शिद्दत से जगह बनाई। उन्होंने न सिर्फ़ महाराष्ट्र राज्य उर्दू साहित्य अकादमी में न्यायाधीश की ज़िम्मेदारी निभाई, बल्कि अनेक अवॉर्ड्स से भी नवाज़े गए और इंशा अल्लाह जल्द ही अकादमी में किसी अहम ओहदे पर उनकी मौजूदगी देखी जाएगी। वाहिद ने बताया कि इस अवॉर्ड की अहमियत तब और बढ़ जाती है जब सन 2008 तक “साहिल” और “तरन्नुम व तहत” जैसे बुनियादी उर्दू अल्फ़ाज़ का मतलब तक मालूम नहीं था और आज वही महज़ कुछ सालों में अपनी मेहनत, लगन और जुनून के बल पर महाराष्ट्र राज्य का अति विशिष्ट पुरस्कार हासिल कर रहा हूं।यह मेरे लिए वाक़ई क़ाबिले-तारीफ़ और प्रेरणादायक सफ़र है।हिंदुस्तान की असली ख़ूबसूरती उसकी गंगा-जमुनी तहज़ीब,भाषाई विविधता और आपसी भाईचारे में निहित है।यही वह विशेषता है जो हमारे मुल्क को पूरी दुनिया में सम्मान दिलाती है।
डॉ.शर्मा ‘वाहिद’ को मिला यह अवॉर्ड तमाम हिंदी भाषियों के लिए न सिर्फ़ गौरव का विषय है बल्कि असीम प्रेरणा का स्रोत भी है। डॉ शर्मा ने साबित कर दिया कि भाषा और साहित्य की कोई सीमाएँ नहीं होती बस लगन जुनून और ईमानदारी की ज़रूरत होती है।

Post a Comment

0 Comments