यवनिका थिएटर ग्रुप की तिहरी नाट्य प्रस्तुतियों से यादगार हुई बरसाती शाम



मुंबई । देश की आर्थिक राजधानी और मायानगरी कहलाने वाली मुंबई के प्रभादेवी स्थित प्रमुख सांस्कृतिक सभागार रवीन्द्र नाट्य मंदिर में मौजूद रंगकर्म प्रेमियों ने रविवार, 28 सितम्बर, 2025 की शाम
दिलकश नज़ारों का आनंद लूटा। जब सभागार के बाहर मूसलाधार बरसात हो रही थी, तब रवींद्र नाट्य मंदिर का मिनी थिएटर, पुणे के यवनिका थिएटर ग्रुप द्वारा मंचित 'द लाफ्टर ट्रायो' के बेहिसाब ठहाकों की गूंज से प्रफुल्लित हो रहा था। मौसम विभाग द्वारा जारी रेड अलर्ट की कड़ी चेतावनियाॅं भी उत्साही रंगप्रेमियों को घरों में रहने के लिए नहीं रोक पाईं और वे प्रकृति के प्रचंड प्रकोप को झेलते हुए, दुनिया के तीन सबसे मज़ेदार एकांकी हास्य नाटकों को देखने और उनका आनंद लेने के लिए सभागार में बड़ी संख्या में उमड़ आये। इन अनूठी तिहरी नाट्य प्रस्तुतियों ने सभी दर्शकों के लिए इस बरसाती शाम को यादगार बना दिया। 
      पुणे के 'द लाफ्टर ट्रायो' के तीन एकांकी नाटकों, असगर भट्ट के 'छोटे मियाँ', जे.बी. प्रीस्टले के 'द मदर्स डे' और एंटन चेखव के 'द प्रपोज़ल' का हिंदुस्तानी रूपांतरण व निर्देशन सुप्रसिद्ध लेखक एवं रंगकर्मी सेवक नैयर द्वारा किया गया है। प्रत्येक एकांकी अपना विशेष रंग, चरित्र व विषय लिये हुए है, मगर अन्य दोनों नाटकों से काफ़ी भिन्न है। तथापि एक चीज़ जो तीनों एकांकियों को एक सूत्र में बाँधती है, वह है उनकी अत्यंत सामान्य और सर्वमान्य मानवीय परिस्थितियों के प्रस्तुतीकरण द्वारा शुद्धतम वाक्-पटुता और हास्य के माध्यम से अनंत मनोरंजन प्रदान करने की अद्भुत क्षमता। 'छोटे मियाँ' मुख्यतः एक युवा किशोर की कहानी है, जो अपनी असाधारण बुद्धि व चतुराई से सदियों पुरानी उक्ति को पूर्णत: सिद्ध कर दिखाता है कि: चाइल्ड इज़ द फादर ऑफ मैन। एकांकी दर्शाती है कि कैसे एक बच्चा अपने मासूम हृदय व सोच से एक वृद्ध व्यक्ति के छल-कपट की पोल बड़ी आसानी से खोल सकता है। एकांकी 'द मदर्स डे', अलौकिकता का पुट लिए है। इसकी मुख्य पात्र, एक माँ है, जो अपने अत्यधिक विनम्र व कृपालु स्वभाव के चलते अपने पति व युवा बच्चों द्वारा बुरी तरह से उपेक्षित व प्रताड़ित की जा रही है। वह अपनी चतुर व दबंग टेरो-कार्ड-रीडर पड़ोसन के साथ व्यक्तित्व का आदान- प्रदान करती है तथा अपने असभ्य एवं अहंकारी परिवार को सबक सिखाने में कामयाब होती है। यह नाटक हमारे समाज में व्याप्त घरेलू दुर्व्यवहार के प्रासंगिक मुद्दों को बड़ी सरलता से उजागर करता है। 'द प्रपोज़ल' एक विशुद्ध प्रहसन है, जो पुरुष और महिला नायक के बीच, विवाह के शुभ-प्रस्ताव के समय पर भी, बंजर ज़मीन के एक छोटे से टुकड़े या उनके कुत्तों की नस्ल जैसे मामूली मुद्दों पर उनमें अजीबोगरीब लेकिन बेहद दिलचस्प मुर्गों की लड़ाई के ज़रिये सिद्ध करता है कि कैसे हम सब अक्सर अपनी खुशियों की बाली अपने झूठे अहंकार की वेदी पर हँसते- हँसते चढ़ा देते हैं। इन विभिन्न नाट्य प्रस्तुतियों में ऋषभ नैयर, ऋचा भट्टाचार्य और सीमा आज़मी के अलावा अन्य कलाकारों के उत्कृष्ट व मंझे हुए अभिनय के साथ-साथ, राघव नैयर (14), नोरा भट्टाचार्य (15) और शौर्य भट्टाचार्य (20) के शानदार अभिनय ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया ।
        

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