वरिष्ठ साहित्यकार अलका पांडेय की बाल कविता संग्रह का विमोचन

 

नवी मुंबई। वरिष्ठ रचनाकार अलका पांडेय के बाल कविता संग्रह नन्हे पंखों की उड़ान का विमोचन 11अक्टूबर 2025 की शाम कोपर खैरने के सेक्टर एक में देविका रो हाउस में स्थित अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच के कार्यालय में समारोह अध्यक्ष प्रसिद्ध साहित्यकार पवन तिवारी के हाथों एवं मुख्य अतिथि वरिष्ठ लघुकथा कार सेवा सदन प्रसाद, वरिष्ठ रचनाकार विशिष्ट अतिथि रामप्यारे सिंह रघुवंशी एवं समाज सेवी विशेष अतिथि संजय दुबे की गरिमामयी उपस्थित में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का सुन्दर संचालन कुमार जैन ने किया। सर्व प्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर माँ शारदा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया गया. समारोह अध्यक्ष पवन तिवारी ने मंत्रोचार से परिवेश को सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया। उसके पश्चात वरिष्ठ कवयित्री वंदना श्रीवास्तव ने अपने मधुर स्वर में मां सरस्वती की वंदना की। अतिथियों के स्वागत के बाद पुस्तक का विमोचन आमंत्रित अतिथियों द्वारा किया गया। सभी अतिथियों ने अलका पांडे जी को उनके बाल कविता संग्रह नन्हे पंखों की उड़ान के लिए बधाई दी। अपने अध्यक्ष उद्बोधन में प्रसिद्ध साहित्यकार पवन तिवारी ने कहा कि बाल साहित्य रचना प्रत्येक साहित्यकार का दायित्व है। आज मुख्य धारा के साहित्यकार बाल साहित्य को रचना से बचते हैं। जबकि बाल साहित्य ही हमारी संस्कृति का प्राथमिक पोषक है। यह बच्चों में साहित्य के माध्यम से सांस्कृतिक बीजा रोपण करता है। अलका पांडेय की बाल कविताएं बच्चों में सांस्कृतिक चेतना जागृत करने का काम करेंगी, ऐसा मुझे विश्वास है। हमारे पूर्ववर्ती सभी बड़े रचनाकारों ने भरपूर बाल साहित्य रचा। फिर चाहे प्रेमचंद हों या दिनकर, अथवा अयोध्या सिंह उपाध्याय, सोहन लाल द्विवेदी, रामनरेश त्रिपाठी से लेकर सुभद्रा कुमारी चौहान तक, यहाँ तक कि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला और महादेवी वर्मा सहित अनेक तत्कालीन साहित्यकारों ने प्रौढ़ साहित्य के साथ बाल साहित्य भी रचते थे किन्तु आज ऐसा कम देखने को मिलता है। ऐसे में उस परम्परा को अलका जी द्वारा आगे बढ़ाते हुए देखकर अच्छा लग रहा। सेवा सदन ने अपने मुख्य वक्तव्य में कहा कि आज इस तरह का बाल साहित्य लिखना बहुत आवश्यक हो गया है मोबाइल के दौर में जब बच्चों के हाथों में मोबाइल है उन्हें यह बाल साहित्य नई दिशा दे सकता है। विशिष्ट अतिथि रामप्यारी रघुवंशी जी ने कहा की साहित्य समाज की जरूरत है और बाल साहित्य लिखना बहुत ही कठिन काम है बाल साहित्य लिखने के लिए बच्चा बनना पड़ता है और इस तरह का साहित्य लिखना चाहिए इससे बच्चों को पढ़ने में भी 
आनंद आता है और बच्चे धीरे-धीरे अपनी संस्कृति के बारे में भी जान जाते हैं । समाज सेवक संजय दुबे ने कहां कि आज का जो माहौल चल रहा है लोगों का आपस में बात करना कम हो गया है और रिश्तो में दूरी आ रही है बच्चे आज नाना, नानी दादा,दादी की कहानी नहीं सुनते सारा समय मोबाइल हाथ में लेकर उसमें लगे रहते हैं ऐसे वक्त में बाल साहित्य की जरूरत है बाल साहित्य रचा जाना चाहिए।
अन्त मे अलका पांडे ने अपनी पुस्तक "नन्हे पंखों की उड़ान" पर दो शब्द कहे की वो रोज एक विषय पर लिखती है ,ओर बच्चो की कविता लिखने के लिए बच्चा बनना पडता है । इस पुस्तक में मैंने बच्चों के करीब- करीब सभी विषय लेने की कोशिश की है और मेरी यह कोशिश है कि बच्चे इन कविताओं को पढ़ें और इससे कुछ सीखें। अलका पान्डेय ने कहा कि आप सब मेरी पुस्तक के विमोचन में इतनी दूर से आए आप सबका धन्यवाद है । पुस्तक विमोचन के उपरांत दूसरे सत्र में आए हुए कवियों द्वारा कविता पाठ किया गया। जिनमें रामस्वरूप साहू, पल्लवी रानी, ओम प्रकाश पांडेय, वंदना श्रीवास्तव, सुरेंद्र प्रसाद गईं, चंद्रिका व्यास, सुनील कुमार, सेवा सदन प्रसाद, मंजू गुप्ता राकेश मणि त्रिपाठी,कोशल किशोर दिलिप ठक्कर सुधीर कुमार सुधीर कुमार ,नन्दलाल थापर,कुसुम रैना, डॉ शैलजा करोडे वैशाली टिकारे,विनोद चतुर्वेदी रत्नेश पाठक प्रमेंद्र सिंह शोभना ठक्कर आदि ने काव्य पाठ किया।

Post a Comment

0 Comments