मुंबई। सागर तीरे एक आशियाना हो, ऐसी चाहत बहुत से लोगों के दिलों में होती है। मगर सागरी सीमा नियंत्रण कानून के कारण ये सपना साकार होना मुश्किल हो रहा था। अब इस नियम में राहत मिली है। इससे सागर किनारे घर का सपना साकार होना आसान हो जाएगा। बता दें कि समुद्र, खाड़ी किनारे या संवेदनशील के रूप में चिन्हित किए गए सागरी सीमा नियंत्रण की मर्यादा 50 मीटर को मंजूरी दे दी गई है। जिसने सागरी सीमा व्यवस्थापन नक्शे को राष्ट्रीय सागरी सीमा व्यवस्थापन प्राधिकरण ने अंतिम मंजूरी दी है। इससे अब इसे लागू करने की बाधाएं समाप्त हो गई हैं। इससे राज्य के समुद्री किनारे के पास रुके विकास कार्यों को गति मिलेगी। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की हाऊसिंग एंड रेरा कमेटी के चेयरमैन आनंद जे गुप्ता ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को ऐतिहसिक करार देते हुए इसका स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय न सिर्फ हाऊसिंग इंडस्ट्री, अपितु राजस्व के नए स्रोत पैदा करने में मील का पत्थर साबित होगा। गुप्ता ने कहा कि इससे न सिर्फ मुंबई, बल्कि समूचे एमएमआर रीजन में पर्यावरण विभाग की मंजूरी के चलते अधर काफी बड़े हाऊसिंग तथा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, जर्जर बिल्डिंगों के पुनर्विकास को गति प्रदान करेगा। बीएआई की हाऊसिंग एंड रेरा कमेटी के चेयरमैन आनंद जे गुप्ता ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से बिल्डिंग, झोपडपट्टी, जर्जर बिल्डिंगों में अपनी जान जोखिम में डालकर, नारकीय जीवन जी रहे नागरिकों को भी राहत प्रदान करेगा, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबको पक्का घर के मिशन को भी फलीभूत करेगा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय रीयल इस्टेट डेवलपरों के लिए फायदेमंद होने के अलावा डेवलपमेंट तथा प्रीमियम चार्जेस जैसे राजस्व के बड़े स्रोत एमएमआर रीजन की महानगरपालिकाओं तथा महाराष्ट्र सरकार के लिए पैदा करेगा। आनंद गुप्ता ने कहा कि हालांकि केंद्र सरकार ने यह निर्णय विगत वर्ष सितंबर महीने में ही लिया था, लेकिन प्रक्रिया पूरी करने में हुए विलंब के चलते इसे अब अंतिम मंजूरी मिली। देर से ही सही, लेकिन यह निर्णय स्वागत योग्य है, और हम उम्मीद करते हैं कि अधर में लटके हाऊसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर तथा पुनर्विकास के प्रोजेक्ट अब तेजी से पूरे होंगे। गौरतलब हो कि इससे पहले राज्य के सर्वाधिक सागरी किनारे स्थित मुंबई, मीरा - भायंदर, ठाणे, पालघर जिले जैसे क्षेत्रों को इस नियम से सर्वाधिक हानि पहुंच रही थी। इन क्षेत्रों की पुरानी इमारतों का पुनर्विकास ठप हो गया था। अब इनके विकास का मार्ग खुल गया है। सागरी सीमा नियंत्रण मर्यादा 50 मीटर लागू हो जाने पर सागर किनारे की जमीन खरीदने वाले बड़े बिल्डरों को भी अब इसका लाभ मिलेगा। राज्य के लिए वर्ष 1991 के बाद सागरी सीमा नियंत्रण नियम 2011 में लागू किया गया था, जिससे समुद्र के ज्वार - भाटा की अंतिम रेखा से 500 मीटर तक मुंबई शहर में 1.33 और मुंबई से सटे उपनगरों में एक चटाई क्षेत्रफल ( एफएसआई ) विकास के लिए मिलते थे, लेकिन इतने कम चटाई क्षेत्रफल से प्रकल्प विकास कार्य में दिक्कतें आती थीं। अब यह मर्यादा घटाकर 50 मीटर कर दिए जाने से तथा ढाई गुना चटाई क्षेत्रफल मिलने से कई पुनर्विकास प्रकल्प को लाभ होगा, और उनके विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। इस नियम का मसौदा वर्ष 2018 में जारी किया गया था, जिस पर आक्षेप व सुझाव मंगाए गए थे। इसके बाद अंतिम मसौदा 2021 के सितंबर माह में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंजूरी दे दी थी, लेकिन राज्य को सागरी सीमा व्यवस्थापन नक्शा नए सिरे से सादर करने के लिए कहा गया था। साथ ही नए नक्शे को केंद्रीय सागरी सीमा व्यवस्थापन प्राधिकरण से मंजूर कराने के लिए भी कहा गया था। इसके अनुसार राज्य सागरी सीमा व्यवस्थापन समिति ने नया नक्शा तैयार कर अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय सागरी सीमा व्यवस्थापन समिति के पास भेजा गया था, जिसे अब मंजूरी मिल गई है। मीरा-भायंदर महानगरपालिका के आयुक्त दिलीप ढोले ने कहा है कि नई सागरी सीमा मर्यादा लागू हो जाने पर शहर के खाड़ी किनारों की जमीनों पर विकास को गति मिलेगी, और शहर की कुछ पुराने इमारतों के पुनर्विकास का मार्ग भी खुल जाएगा।
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