मुंबई । साहित्य के क्षेत्र में जहां कवियों एवं गीतकारों द्वारा लिखित कविताओं एवं गीतों को समाज के आईने के रूप में उतारा जाता है जिससे समाज का कायाकल्प होता है।वहीं जबलपुर में सैन समाज संगठन के बैनर तले प्रतिभाओं का सम्मान करने का ढ़ोंग और ढ़कोसला करके जनता को भ्रमित किया गया।इसका जीता जागता उदाहरण राष्ट्रीय गीतकार निरंजन सैन जबलपुर हैं।सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि प्रकाश सैन द्वारा अभी हाल 26 मार्च 2022 को बंगाली क्लब जबलपुर में हुए भारतीय सैन समाज के सैन महायज्ञ कार्यक्रम में निरंजन सेन द्वारा लिखी आरती को पम्पलेट्स में छपवाकर वितरत किया जो सराहनींय है,लेकिन कटुता रखने के कारण रचनाकार में निरंजन सेन का नाम नहीं लिखा जो अति निंदनींय घृणात्मक कृत्य है। राष्ट्रीय गीतकार निरंजन सेन ने बताया कि इस आरती को कुछ सालों पहले मैने बिना पारश्रमिक लिखा था।गत वर्षों में यही आरती मेरे नाम के बिना पम्पलेट्स में छपवाकर कार्यक्रमों में प्रकाश सैन द्वारा वितरित भी की गई।जानकारी लगने पर कवि अंजानदास माथुरकर जबलपुरी और मेरे विरोध करने पर प्रकाश सैन ने सी डी के कवर पर मेरा नाम लिखवाकर हम दोनों को झूठी दिलासा दी।परन्तु जब भव्य और आकर्षक आयोजन में वही आरती बिना मेरे नाम के वितरित की गई तो मुझे अपमान महसूस हुआ।राइटर में मेरा नाम ना छापकर समाज की प्रतिभाओं का घोर अपमान किया।यदि नाम दे भी देते तो क्या संगठन कलंकित हो जाता।इस हरकत ने प्रकाश सैन की स्वार्थी सोच का परिचय दिया है।सैन समाज के सभी आत्मीय बन्धुओं को अब अपने बारे में बताना आवश्यक समझता हूं कि मैं दिखावे की दुनिया से दूर रहता हूं।मुझे नाम की लालसा कभी नहीं रही।मेरे लिखे गीत देश के प्रख्यात सिंगर लखबीर सिंह लख्खा जैसे गाते हैं।
जबलपुर की शहनाज़ अख़्तर ने मेरे अनेक गीत गाए जो सुपर डुपर हैं।कई गीतों में मेरा नाम भी नहीं रहता लेकिन मैं कुछ नहीं कहता,नाम की तड़प नहीं है मुझे,मैं तो समाज की प्रतिभाओं से कहना चाह रहा हूं कि श्रीप्रकाश सैन जैसी मानसिकता वाले आदमी समाज का कभी उत्थान कर ही नहीं सकते ।
केवल भीड़ जुटाकर अपना स्वार्थ सिद्ध ही कर सकते हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार प्रकाश सेन ने कहा मेरे द्वारा लिखी गई है जिसको जो करना है कर ले। राष्ट्रीय कवि निरंजन सेन ने कहा मेरे शब्दों से तुलना की जाए कि मेरी वर्तनी,लेखनी,भाव के साथ अन्य गीत किस तरह से हैं और श्री प्रकाश सेन द्वारा इस तरह से कितने गीत लिखे गए। समाज के प्रतिष्ठित समाजसेवियों एवं प्रशासन से निवेदन है कि निरंजन सेन को न्याय मिले। भारत के सभी गीतकारों एवं कवियों ने राष्ट्रीय कवि निरंजन सेन जी का साथ देते हुए सभी ने प्रकाश सेन के उक्त रवैये का विरोध किया है।यह जानकारी जबलपुर के राष्ट्रीय वरिष्ठ साहित्यकार माथुरकर अंजानदास जबलपुरी ने राष्ट्रीय साहित्यिक मीडिया प्रभारी को दी।
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