हिंदी साहित्य अकादमी के नाम पर करोड़ों की सौगात


फायदा उठा रहे करीबी और नात बात

मुंबई। हाल ही में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2020-21, 2021-22 तथा 2022-23 की सम्मान सूची जारी की गई है। इन 3 वर्षों की सम्मान सूची को देखने के पश्चात यह पता चला है कि इसे सम्मान सूची में शामिल कुछ लोगों को सचमुच योग्यता के आधार पर सम्मान दिया जा रहा है, परंतु बाकी बचे लोगों में से कुछ लोग कार्याध्यक्ष तथा समिति में शामिल सदस्यों के रिश्तेदार शोधार्थी, परिजन तथा एक ही परिवार के कई सदस्यों को शामिल किया गया है। इस सूची में कुछ ऐसे भी लोगों का नाम शामिल किया गया है जिनका आज तक न कोई साहित्यिक अवदान है और न ही हिंदी के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में किसी प्रकार की गतिविधियां आज तक दिखाई नहीं दी हैं। 
   महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी की नई समिति का गठन हुए सिर्फ 1 महीने ही हुए, इस दौरान 3 वर्षों भी सम्मान सूची का निर्धारण करना इस बात का परिचायक है कि चयन समिति द्वारा आनन-फानन में अपने ही करीबियों को आर्थिक लाभ पहुंचाने की दृष्टि से ये सम्मान रूपी रेवड़ियां बांटी गई हैं। कई लोगों ने यह आशंका व्यक्त की है कि इसमें एम. फिल., तथा पी-एच.डी. के शोध प्रबंध पर प्रकाशित पुस्तक को भी सम्मान प्रदान किया गया है। इसके बावजूद ऐसी आशंका है कि इसमें महाराष्ट्र के बाहर के लोगों को जिनके पास महाराष्ट्र में स्थाई रूप से 15 वर्षों का निवास प्रमाण पत्र नहीं है, उन्हें भी शामिल किया गया है। कुछ लोगों की यह मांग है कि एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करके इसकी उचित जांच होनी चाहिए।
 महाराष्ट्र के साहित्यकारों ने इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। बताना चाहूंगा कि महाराष्ट्र में ऐसे कई चर्चित नाम हैं जिन्होंने सचमुच साहित्य को आगे बढ़ाने में अपना अमूल्य योगदान प्रदान किया है। उन चर्चित नामों को सूची में शामिल न करके कहीं ना कहीं उन साहित्यकारों का महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा अपमान किया गया है। कई साहित्यकारों ने इस पर पुनर्विचार की मांग करते हुए नए सिरे से अवलोकन करने तथा इस सम्मान समारोह को स्थगित कराने हेतु महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल के पास ज्ञापन देने का निर्णय लिया है।

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